नई दिल्ली. पशुओं में बांझपन का नाम सुनकर ही पशुपालकों के दिमाग में एक डर सा पैदा हो जाता है. बांझपन से मतलब है कि हमारे दुधारू पशु को एक वर्ष में एक बच्चा देना चाहिए या यूं कहें कि पशु को एक साल के अंदर ब्याह जाना चाहिए और ये तभी संभव है जब पशु बच्चा देने के 45-75 दिन के बीच गर्भित हो जाए और गर्भ रुक जाए. यदि इस समय या अवधि में पशु गर्मी में नहीं आता है तो हमें मान लेना चाहिए कि हमारा दुधारू पशु (गाय व भैंस) बांझपन की तरफ बढ़ रहा हैं.
कभी-कभी तो पशु गर्मी में तो हर 21 दिन बाद आता है लेकिन गर्भ नहीं ठहरता है. ये भी बांझपन का एक लक्षण है. दुधारू पशुओं में बांझपन के अनेक कारण हैं. आइए इस बारे में यहां डिटेल से जानते हैं.
पांचों कारण के बारे में पढ़ें यहां
- पहला मुख्य कारण है कि दुधारू पशुओं को जरूरी पोषक तत्वों की आपूर्ति न हो पाना. क्योंकि दुधारू पशु के दूध में सभी जरूरी पोषक तत्व (वसा, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, केल्शियम, मैग्नीशियम, आयरन आदि) मौजूद रहते हैं. यदि पशु के शरीर में इन पोषक तत्वों की कमी हो जाती है तो पशुओं में अस्थाई बांझपन जा जाता है.
- दूसरा मुख्य कारण है कि पशुओं के पेट में कीड़े हो जाते हैं. कीड़े होने के कारण भी पशुओं में बांझपन आ जाता है. क्योंकि जो पोषक तत्व हम अपने पशुओं को खिलाते हैं वे पोषक तत्व कीड़े चूस लेते हैं और पशुओं को उनकी आपूर्ति नहीं हो पाती हैं.
- तीसरा मुख्य कारण है कि दुधारू पशुओं के लिए हरे चारे की उचित व्यवस्था न होना. हरे चारे की कमी के कारण भी पशुओं में बांझपन आ जाता है क्योंकि हरे चारे में सभी आवश्यक पोषक तत्व मौजूद रहते हैं जिससे पशुओं को सभी पोषक तत्व मिल जाते हैं. हरे चारे आसानी से पच भी जाते हैं. सूखे चारे को पचाने में भी पशु की ऊर्जा अधिक खर्च होती है और इनसे पोषक तत्व भी बहुत कम मात्रा में मिल पाते हैं और कुछ सूखे चारे जैसे धान की पुआल दुधारू पशुओं को खिलाने से फायदे की जगह नुकसान ज्यादा होता है. इससे दूध उत्पादन में कमी व कभी-कभी पशु की पूंछ सूख जाती है. जिससे पशु पालक को आर्थिक हानि उठानी पड़ती है.
- चौथा मुख्य कारण है कि पशु के ओवरी में सिस्ट बन जाते हैं. सिस्ट बनने के कारण पशु गर्मी में तो तय समय पर आता है लेकिन गर्भ नहीं ठहरता है. इस कारण दुधारू पशु बांझपन का शिकार हो जाता है.
- पांचवा मुख्य कारण है कि पशुओं का उचित व्यायाम न हो पाना. आमतौर देखने में आया है कि कभी-कभी पशु में कोई भी कमी स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देती है लेकिन फिर भी पशु को गर्भ नहीं ठहरता है.
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