नई दिल्ली. डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) के मुताबिक अगर पशुओं को पर्याप्त हरा चारा मिलता है तो उन्हें उत्पादन करने में आसानी होती है. दूध उत्पादन भी अच्छा होता है और इससे दूध की गुणवत्ता भी बेहतर रहती है. ज्यादा दूध उत्पादन के लिए डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) की ओर से पशुपालकों को सलाह दी गई है कि वो चारा चुकंदर की फसल लगा सकते हैं. गर्मियों के महीनों में दुधारू पशुओं के लिए उच्च गुणवत्ता वाला हरा चारा उत्पन्न करने की क्षमता इस चारा फसल में होती है. खासतौर पर भारत के उत्तर-पश्चिम क्षेत्रों में ये चारा फसल बहुत ज्यादा मशहूर है.
चारा चुकंदर की किस्मों की बात की जाए तो इसमें आप जेके कुबेर, मोनरो, जैमोन और कैगनोट को अपने खेतों में लगा सकते हैं और भरपूर चारा उत्पादन कर सकते हैं.
कैसे करें इस फसल की बुवाई
लवणों के प्रति सहनशीलता के कारण, यह फसल लवणीय क्षारीय जमीन पर उचित प्रबंधन क्रियाएं अपनाकर कामयाबी के साथ उगाई जा सकती हैं.
चुकंदर अच्छी तरह से समतल, गहरी और अच्छी जल निकासी वाली भूमि पर कामयाबी के साथ उगाई जा सकती है.
इस फसल में जड़ों के अच्छे विकास के लिए देलों से मुक्त अच्छी जुताई वाली भूमि की आवश्यकता होती है.
पौधों की अनुकूल संख्या प्राप्त करने के लिए 2.0-2.5 किग्रा. प्रति हैक्टेयर बीज दर की जरूरत होती है.
चुकंदर की फसल को पोषक तत्वों की अधिक जरूरत पड़ती है और उर्वरको का प्रयोग फसल के लिए फायदेमंद सिद्ध होता है.
पोषक तत्त्व नाइट्रोजन, फोस्फोरस और पोटाश क्रमशः 120:60:60 किग्रा., 30 किग्रा. सल्फर और 15 किग्रा. जिंक प्रति हैक्टेयर से करना चाहिए.
एक तिहाई नाइट्रोजन और पूरी फोस्फोरस, पोटाश, सल्फर एवं जिंक को शुरुआती मात्रा के रूप में बुवाई से पहले डालना चाहिए.
बाकी बची हुई नाइट्रोजन को दो बार हाथों द्वारा खरपतवार नियंत्रण करने के बाद 25 एवं 45 दिनों पर छिड़काव करना चाहिए.
उपज बढ़ाने के लिए बुवाई के 50 और 70 दिन बाद 1 किग्रा. प्रति हैक्टेयर की दर से पत्तियों पर बोरॉन का छिड़काव करना चाहिए.
पहली सिंचाई बुवाई के तुरंत बाद करनी चाहिए और दूसरी सिचाई बुवाई के दस दिन बाद तथा आगे की सिंचाई तीन सप्ताह के अंतर पर फसल की जरुरत के हिसाब से मार्च के अंत तक करनी चाहिए.
गर्मियों में फसल को 15 दिन के अंतर पर सिंचित किया जाना चाहिए.
चारे के लिए चारा चुकंदर को उखाड़ने की प्रक्रिया बुवाई के 100 दिन बाद शुरु करनी चाहिए.
जड़ और पत्ती सहित 15 से 20 किग्रा. हरा चारा प्रति पशु प्रतिदिन देना चाहिए. औसत उपज 75 से 100 टन प्रति हेक्टेयर होती है.
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