नई दिल्ली. पशुओं की अगर हैल्थ अच्छी रहे तो इससे पशु बेहतर उत्पादन करता है और पशुपालकों को इससे फायदा होता है. वहीं सरकार भी पशुपालन को बढ़ावा देने का काम कर रही है. इसी के तहत सरकार ये चाहती है कि पशुओं को बीमार न होने दिया जाए. इसके लिए पशुओं का फ्री वैक्सीनेशन किया जाता है. बीमार पशुओं को दवाएं वितरित की जाती है. उत्तराखंड में सरकार इस तरह की मुहिम पर काम कर रही है. पशुपालन, दुग्ध उत्पादन और मत्स्य पालन विभाग की ओर से राज्यभर में अभियान चलाकर पशुओं को वैक्सीन लगाई जा रहा है. ताकि पशुओं को किसी भी आने वाले गंभीर बीमारी से बचाया जा सके.
उत्तराखंड राज्य में अलग—अलग जिलों में पशु चिकित्सकों की टीम को भेजने का निर्देश दिया गया है. सरकार के निर्देश पर जिलों के पशु चिकित्सा अधिकारियों की देखरेख में पशुपालकों को मदद पहुंचाई जा रही है.
पशुओं को पिलाई गई दवा
सरकार के निर्देश पर राजकीय पशु चिकित्सालय जौलजीबी क्षेत्र के तहत राजस्व ग्राम थाम में पशु चिकित्सा शिविर का आयोजन किया गया. जिसमें पशुपालकों को विभागीय योजनाओं जैसे SLM, KCC पशुधन बीमा और अन्य विभागीय योजनाओं के बारे में जानकारी दी गई. पशुओं को बीमारियों से बचाव और LSD, FMD, व अन्य टीकाकरण अभियानों के बारे में जानकारी दी गई. शिविर में 60 छोटे पशुओं और 38 बड़े पशुओं को दवाएं पिलाई गईं.
दवा के साथ योजनाओं की जानकारी दी
वहीं मुख्य पशु चिकित्साधिकारी, के निर्देशा पर विकास खंड मूनाकोट के सुदूरवर्ती गांव ओखल, शिलिंग्या, धारी तथा बेलतडी में सचल पशुचिकित्सा शिविर लगाया गया. शिविर में कुल 182 बड़े पशु और 42 छोटे पशु यानि कुल मिलाकर 140 पशुओं के लिए पशुपालकों को दवा का वितरण किया गया. साथ ही FMD और LSD टीकाकरण कार्यक्रम तथा सरकार द्वारा विभाग में संचालित विभिन्न योजनाओं के बारे में विस्तार से बताया गया.
कई इलाकों में हुआ पशुओं का इलाज
मुख्य पशु चिकित्साधिकारी पिथौरागढ़ के निर्देशानुसार कनालीछीना ब्लाक के दूरस्थ ग्राम तुलानी, कुसैल, खनफर,बाटुला, रसेपाटा में सचल पशु चिकित्सा शिविर का आयोजन किया गया. इसमें 52 पशुपालकों के 67 बड़े पशु एवं 55 छोटे पशुओ के लिए दवा वितरित की गईं. एक पशु का बधियाकरण किया गया. जबकि 40 छोटे पशुओं को दवा पिलाई गई. साथ ही पशुपालकों को विभिन्न विभागीय योजनाओं की जानकारी दी गई.
MVU को लेकर दिया ये निर्देश
वहीं पिछले दिनों पशुपालन विभाग उत्तराखंड डायरेक्टर डॉ. नीरज सिंघल के नेतृत्व में मोबाइल वेटरनरी यूनिट 1962 की मासिक समीक्षा बैठक आयोजित की गई थी. बैठक में पशुपालन निदेशालय से संयुक्त निदेशक/उपनिदेशक, वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी/ पशु चिकित्सा अधिकारी एवं MVU सर्विस प्रोवाइडर कंपनी के प्रतिनिधियों ने भाग लिया था. बैठक में निदेशक पशुपालन द्वारा निर्देशित किया गया कि पशुपालक द्वारा कॉल किए जाने और पशुपालक के द्वार पर सेवा देने के बीच के अंतराल (रिस्पांस टाइम) को और कम किया जाए. मोबाइल वेटरनरी यूनिट (एमवीयू) का अधिक से अधिक सदुपयोग सुनिश्चित करते हुए दूरस्थ क्षेत्रों में इस सुविधा से पशुपालकों को लाभान्वित किया जाए.
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