नई दिल्ली. मछली पालन को बढ़ावा देना बेहद ही महत्वपूर्ण है. क्योंकि इससे रोजगार और आय का एक मजबूत सोर्स मिलता है. इस बात को सरकार भी समझ रही है, तभी तो नीली क्रांति के जरिए इसे बढ़ावा दिया जा रहा है और इसे मजबूत करने का काम भी किया जा रहा है. एक्सपर्ट का कहना है की मछली पालन से देश में प्रोटीन की कमी को दूर किया जा सकता है. वहीं एक्वाकल्चर ईको सिस्टम को भी संरक्षित किया जा सकता है. मछली पालन ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों के लिए रोजगार और इनकम का एक बेहतरीन जरिया है. क्योंकि यह कम लागत में किया जा सकता है. इस वजह से इसे हर कोई आसानी के साथ कर लेता है.
एक्सपर्ट कहते हैं कि इस काम में लागत कम और मुनाफा ज्यादा मिलता है. कृषि के साथ एकीकृत मछली पालन करने से भी इनकम में बढ़ोतरी होती है. इस वजह से बहुत से किसान इस काम को कर रहे हैं. इस काम से 6 से 7 महीने में सवा दो लाख से ढाई लाख रुपए तक आसानी से कमाए जा सकते हैं. वहीं मछली प्रोटीन और ओमेगा 3 फैटी एसिड का बेहतरीन सोर्स है. इसलिए आप लोगों के लिए मछली खाना भी फायदेमंद है. डॉक्टर भी लोगों को मछली खाने की सलाह देते हैं.
क्या-क्या हुआ ऐलान, पढ़ें यहां
वहीं मछली पालन और मत्स्य उद्योग को मजबूत करने के लिए सरकार की ओर से एक बड़ा ऐलान किया गया है. केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल ने ऐलान किया है कि मछली पालन और जलमच्छी पालन विकास फंड (FIDF) के तहत 5 हजार 794 करोड़ की लागत से 130+ परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है. इनमें 22 मछली बंदरगाह, 24 मछली लैंडिंग केंद्र, 4 मछली प्रोसेसिंग प्लांट का निर्माण किया जाएगा. सरकार की ओर कहा गया है कि 8 बर्फ प्लांट यानि कोल्ड स्टोरेज यूनिट, 6 ट्रेनिंग और क्षमता निर्माण केंद्र और 21 आधुनिक हैचरी और बीज फार्म का भी निर्माण किया जाएगा. यह पहल नीली अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने और मछुआरों को सशक्त करने के लिए महत्वपूर्ण कदम है.
सरकार चला रही है कई योजनाएं
बता दें कि सरकार की तरफ से मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं. प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत कई योजनाएं चलती हैं. जिसमें मछली पलकों को सब्सिडी और लोन मुहैया कराया जाता है. ताकि आर्थिक रूप से कमजोर लोग मछली पालन का काम शुरू कर सकें और अपनी इनकम का एक जरिया बना लें. हजारों करोड़ों रुपए का बजट सिर्फ प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत ही रिजर्व किया गया है.
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