नई दिल्ली. अजोला एक जलीय फर्न है. जिसमें पशुओं के लिए सदाबहार पौष्टिक आहार देने की कई क्वालिटी होती है. जब हरे चारे की कमी हो जाती है तो इसे पूरा करने के लिए पशुओं को अजोला खिलाया जाता है. इससे पशुओं को फायदा भी होता है. एक्सपर्ट कहते हैं कि जिस तेजी के साथ चारा भूमि की कमी हो रही है और जंगलों को काटा जा रहा है, उस लिहाज से अजोला जैसा चारा पशुपालन में किसी वरदान से कम नहीं है. इसको खिलाकर पशुओं को पोषण दिया जा सकता है और पशुओं से अच्छा उत्पादन भी लिया जा सकता है.
वैसे तो अजोला का एक गड्डे में आसानी के साथ लगाया जा सकता है. अजोला बहुत तेजी से विकसित होता है और 10 से 15 दिन के अंदर पूरे गड्ढे में फैल जाता है. इसके बाद 400-600 ग्राम अजोला प्रतिदिन बाहर निकाला जा सकता है. हालांकि इसको लगाने में कुछ साविधानियां भी बरतनी पड़ती हैं. इसी के बारे में यहां आपको जानकारी दी जा रही है.
क्या-क्या सावधानी बरतनी है जानें यहां
- अजोला तैयार करने के लिए उपयुक्त तापमान 25 से 30 डिग्री सेल्सियस है. इससे अधिक तापमान बढ़ने से रोकना चाहिए. इसके लिए तैयार करने का स्थान छायादार होना चाहिए. पेड़ के नीचे इसकी पैदावार की जाती है जहां उपयुक्त सूर्य किरणें पड़ती हैं. जबकि गैर जरूरी किरणों को पेड़ पड़ने से रोकते हैं.
- सभी गड्ढे के कोनों को एक समतल में रखना चाहिए जिससे बारिश की तरह पानी भरा रह सके.
- अजोला की तेज बढ़त और दोगुना होने का न्यूनतम समय बनाए रखने के लिए यह आवश्यक हो जाता है कि अजोला को प्रतिदिन उपयोग के लिए लगभग 300 ग्राम में 350 ग्राम प्रति वर्गमीटर के मान से बाहर निकाल लेना चाहिए.
- समय-समय पर गाय का गोबर और सुपर फॉस्फेट डालते रहना चाहिए. ताकि फर्न तेज गति के साथ विकसित होता रहे.
- कीटनाशक तथा फफूंदनाशक दवाओं का उपचार जरूरत पड़ने पर करते रहना चाहिए.
- प्रति 30 दिनों के अंतराल में, एक बार अजोला तैयार करने के लिए लगभग 5 किलो मिट्टी, ताजा मिट्टी से बदल देना आवश्यक है ताकि नाइट्रोजन की अधिकता तथा लघु खनिजों की कमी होने से बचाया जा सके.
- प्रति 10 दिनों के गैप पर, एकबार अजोला तैयार करने की टंकी से 25 से 30 प्रतिशत पानी ताजे पानी को बदल देना चाहिए. ताकि नाइट्रोजन की अधिकता होने से बचाया जा सके.
- हर छह महीने पर एक बार अजोला तैयार करने की टंकी को पूरी तरह से खाली कर साफ करना चाहिए तथा नये सिरे से पानी, गोबर एवं अजोला कल्चर डालना चाहिए.
- अगर कीट या फफूंद का आक्रमण होता है तो नये सिरे से नयी जगह पर, नये अजोला कल्चर के साथ उत्पादन शुरू करना चाहिए.
- अजोला तैयार करने की टंकी में पीएच का समय-समय पर परीक्षण करना चाहिए.
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