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Poultry: गांवों में कामर्शियल पोल्ट्री फार्मिंग में क्या है अड़चने और कैसे निकल सकता है इसका हल, जानें यहां

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अंकलेश्वर नस्ल की फोटो.

नई दिल्ली. कामर्शियल पोल्ट्री फार्मिंग के लिए हाई प्रोडक्शन क्षमता वाली पोल्ट्री नस्लों में, जिसमें ज्यादा संतुलित फीड और हाई स्टैंडर्स मानक बायो सिक्योरिटी और महंगी निवेश की जरूरत होती है. इस वजह शहर में तो ये आसानी से किया जा सकता है लेकिन रूरल एरिया में जो खासकर शहरों में मिलने वाली तमाम सुविधाओं से दूर हैं, संभव नजर नहीं आता है. इस वजह से शहरी लोगों के लिए आसानी से कम कीमत पर पोल्ट्री प्रोडक्ट उपलब्ध कराया जा सकता है लेकिन दूरदराज के ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में यह बहुत महंगा पड़ता है.

हालांकि एक्सपर्ट का कहना है कि देशी मुर्गियों से इन ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में ज्यादातर पोल्ट्री प्रोडक्ट को उपलब्ध कराते हैं, मसलन अंडे और मीट. देशी कुक्कुट (73 मिलियन) जो घर-आंगन के पिछवाड़े में पाला जाता है, वह देश में कुल अंडा उत्पादन का लगभग 24 फीसदी योगदान करता है. उनकी संख्या और कम उत्पादकता के कारण, देशी मुर्गियों के अंडे के उत्पादन में योगदान पिछले कुछ दशकों से लगभग स्थिर है. कई ग्रामीण इलाकों में अंडे और पोल्ट्री मांस की खपत काफी कम है. स्थानीय देशी पोल्ट्री किस्मों की आनुवंशिक क्षमता को बढ़ाने से ग्रामीण / आदिवासी क्षेत्रों में कुक्कुट उत्पादों की उपलब्धता में वृद्धि में सहायता मिल सकती है.

पालना कठिन है
हालांकि, किसानों द्वारा अपनाये जा रहे मौजूदा चयन और ब्रीडिंग प्रोग्राम से देशी कुक्कुट के प्रोडक्शन में बहुत अधिक वृद्धि नहीं की जा सकती है. इंटरग्रेटेड कामर्शियल / इंटेंनसिव पोल्ट्री पालन उ‌द्योग मैं उपयोग की जाने वाली मुर्गी नस्लों को घर-आंगन मुक्त क्षेत्र के फिट और टफ मौसम परिस्थितियों में जहां रोगों की चुनौती व स्थान व मौसम के आधार पर अलग स्थिति है, में पालना काफी कठिन है. ग्रामीण आदिवासी क्षेत्रों में छोटे पैमाने पर इंटेंनसिव फार्मिंग मैनेजमेंट और प्रोक्शन सामग्री की उपलब्धता की कमी के कारण आर्थिक रूप से स्वीकार्य नहीं है.

हाई क्वालिटी का मिलेगा प्रोटीन
बताते चलें कि कई आईसीएआर और राज्य पशु चिकित्सा और कृषि विश्ववि‌द्यालयों द्वारा ग्रामीण परिस्थितियों में एक्सपटेबल, घर-आंगन की स्थिति में जिंदा रहने लायक और हाई उपज देने वाली कुक्कुट किस्मों / नस्लों को विकसित करने की आवश्यकता महसूस की गई. ग्रामीण आदिवासी क्षेत्रों में छोटे तौर पर अधिक उपज देने वाली कुक्कुट किस्मों को घर-आंगन में पालने को प्रोत्साहित करने पर यह उच्च गुणवत्ता वाले प्रोटीन की उपलब्धता में वृद्धि करेगा और स्थानीय जनसंख्या को आय का एक स्रोत भी प्रदान करेगा.

कुपोषण को किया जा सका है दूर
ग्रामीण इलाकों में घर-आंगन कुक्कुट पालन का अनुकूलन, इन क्षेत्रों में अंडे और मांस प्रोटीन की उपलब्धता को सुनिश्चित कर सकता है और इस तरह महिलाओं, बच्चों, गर्भवती माताओं ओर बुजुर्गो से प्रोटीन की कमी और कुपोषण को दूर किया जा सकता है. ऐसी उपयुक्त मुर्गी किस्मों को विकसित करना जरूरी है, जो खाद्य, रोग प्रबंधन जैसे महंगे निवेश के बिना घर आंगन में जीवित रह सकें. घर-आंगन पोल्ट्री फार्मिंग के लिए उपयुक्त किस्मों को विकसित करते समय जिन बातों पर ध्यान देने की आवश्यकता है, उनमें परभक्षी का खतरा, टफ क्लाइमेटिक सिचुएशन, बीमारी फैलाने के कारण, उपभोक्ता की पसंद और बैलेंस्ड फीड की उपलब्धता आदि शामिल है.

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