नई दिल्ली. ठंड का आगाज हो गया है. अब सर्द हवाएं भी चलना शुरू हो चुकी हैं. ठंड ने पूरे उत्तर भारत में अपना असर दिखाना भी शुरू कर दिया है. इसके चलते वाइल्डलाइफ एसओएस ने उनकी देखभाल में रह रहे स्लॉथ भालुओं और हाथियों को गर्म, हैल्दी और उनके लिए आरामदायक माहौल देने का काम करना शुरू कर दिया है. इसके तहत मथुरा के हाथी संरक्षण और देखभाल केंद्र और आगरा भालू संरक्षण केंद्र में उत्पीड़न और क्रूरता के शिकार रहे और अब बचाए जा चुके इन जानवरों को गर्म रखने और इनकी अनूठी जरूरतों को पूरा करने की कवायद शुरू कर दी गई है.
मथुरा के हाथी संरक्षण और देखभाल केंद्र में हाथियों को कड़कड़ाती ठंड से बचाने के लिए, अलग से इन्सुलेशन परत के साथ तैयार किए गये ऊनी कंबल दिये गये हैं. वहीं कम तापमान से बचाने के लिए हाथियों को जरूरी चिकित्सा सेवाएं भी दी जा रही हैं. इसके अलावा उनके बाड़ों में ठंडी हवाओं को घुसने से रोकने के लिए हैलोजन लैंप और तिरपाल कवर भी व्यवस्था की गई है.
खास किस्म के तेल से हो रही मालिश
हाथी को लौंग और तिल के तेल की मालिश दी जा रही है. इससे खून का संचारण बढ़ता है और आर्थराइटिस जैसी बीमारियों का खतरा नहीं रहता है. जो वृद्ध हाथियों में एक आम बीमारी है. पाचन और शरीर में अंदरूनी गर्मी के लिए आहार में गुड़, मसाले और गर्म दलिया दी जा रही है. वाइल्डलाइफ एसओएस के सह-संस्थापक और सीईओ, कार्तिक सत्यनारायण ने बताया कि इन हाथियों ने पूर्व में काफी मुश्किलें सही हैं. अब हम नहीं चाहते कि इन्हें किसी तरह की कोई दिक्कत हो. सर्दियों के दौरान उनका आराम सुनिश्चित करना पहली प्राथमिकता है, खासकर वृद्ध हाथियों के लिए जो ठंड से संबंधित बीमारियों के प्रति अधिक संवेदनशील बरतने की जरूरत होती है.
भालू को आहार में ये दिया जा रहा
बताते चलें कि वाइल्डलाइफ एसओएस आगरा में दुनिया का सबसे बड़ा स्लॉथ भालू संरक्षण केंद्र संचालित करता है, जहां भालूओं को विशेष शीतकालीन देखभाल मिल रही है. उनके आहार में अब बाजरा से बना गर्म दलिया, प्रोटीन के लिए चिकन शोरबा या उबले अंडे और अतिरिक्त पोषण के लिए खजूर दिया जा रहा है. उनकी प्रतिरोधक क्षमता को को मजबूत करने के मकसद से पशु चिकित्सा टीम विटामिन के साथ-साथ लीवर सप्लीमेंट भी देती है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि भालू ठंड के महीनों के दौरान स्वस्थ और आरामदायक रहें. धान के भूसे और सूखी घास जैसी गर्म सामग्री का बिस्तर उनके बाड़ों, मांदों और झूलों में फैलाया जाता है.
हीट की व्यवस्था की गई
आर्थराइटिस से पीड़ित भालुओं को अतिरिक्त आराम प्रदान करने के लिए हीटर की व्यवस्था की गई है. धूप भरी दोपहर के दौरान, भालू अक्सर धूप सेंकने और शांति से झपकी लेने के लिए अपने द्वारा खोदे गए मिट्टी के गड्ढों में जा कर आराम करते हैं. वाइल्डलाइफ एसओएस की पशु-चिकित्सा सेवाओं के उप-निदेशक, डॉ. एस. इलियाराजा ने बताया, हमारी देखरेख में रह रहे हाथियों और भालू दोनों के लिए ठंड में देखभाल अहम है. हमारा लक्ष्य उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करना और यह सुनिश्चित करना है कि वे आराम और समृद्धि से भरे मौसम का आनंद लें.
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