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Bull: भैंस को गाभिन कराने से पहले जान लें किस तरह करना है सांड का चयन, ये गलती कभी भी न करें

Animal Husbandry: Farmers will be able to buy vaccines made from the semen of M-29 buffalo clone, buffalo will give 29 liters of milk at one go.
प्रतीकात्मक फोटो. Live stockanimal news

नई दिल्ली. पशुपालन करने वाला ऐसा कौन किसान होगा जो नहीं चाहता है कि उसका पशु ज्यादा से ज्यादा दूध उत्पादन करे और पशु से हासिल होने वाले बछड़े या बछड़ियां उत्तम नस्ल की मिलें. ताकि भविष्य में उससे भी फायदा उठाया जा सके. ये काम संभव है लेकिन इसके लिए किसाकों को इसकी सटीक जानकारी होना जरूरी है. आमतौर पर किसान भाई पशुओं के गर्भाधान के लिए तीन मेथड का इस्तेमाल करते हैं. किसान भाई कृत्रिम गर्भाधान कराएं या फिर प्राकृतिक गर्भाधान इसके लिए पे​डीगिरी, प्रोजेनी टेस्टिंग और स्क्रब बुल का इस्तेमाल होता है. इसमें क्या है बेहतर है और कैसे ज्यादा उत्पादन और बेहतर नस्ल मिलेगी आइए जानते हैं.

केन्द्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान, हिसार, हरियाणा के रिटायर्ड साइंटिस्ट डॉ. सज्जन सिंह कहते हैं कि कृत्रिम गर्भाधान में किस प्रकार के सांड का प्रयोग हम अपने पशुओं के लिए करते हैं. इसी पर बेहतर उत्पादन और बेहतर नस्ल का मामला टिका हुआ है. उन्होंने कहा कि जो किसान भाई पेडिगिरी का चुनाव करते हैं तो ये मालूम कर लेना चाहिए कि जिसका चुनाव किया है उसकी माता का दूध का उत्पादन क्या है. बेहतर दूध उत्पादन इसी बात पर निर्भर करता है. अगर उसकी माता ने ज्यादा दूध का उत्पादन किया है तो उस सांड से हासिल होने वाली बछिया भी आगे चलकर ज्यादा दूध का उत्पादन करेगी.

बेहतर उत्पादन और नस्ल मिलेगी
प्रोजेनी टेस्टिंग सांड का चयन थोड़ी जटिल और गहन प्रक्रिया है. इसे हम प्रोजेनी टेस्टिंग बुल भी कहते हैं. इसके अंदर उच्च गुणवत्ता के सांड नस्ल तैयार करके किसानों तक पहुंचाई जाती है. इस हिसाब से किसान भाइयों को प्रोजेनी टेस्टिंग बुल के टीकों का प्रयोग करना चाहिए. क्योंकि इससे किसानों को उससे पैदा होने वाले जो बछड़ों और उनके उत्पादन का ज्ञान होता है. उसी के आधार पर सांड का चुनाव प्रोजेनी टेस्टिंग बुल के नाम से किया जाता है. किसान भाई यहां इस बात पर भी ध्यान दें कि उत्पादन और नस्ल सुधार को अगर आपको बढ़ाना है तो ये उत्तम गुणवत्ता के सांडों के वीर्य से ही संभव हो सकता है. उत्तम गुणवत्ता के सांडों के लिए यह सांड या उनका प्रयोग करते हैं तो निश्चित रूप से दूध उत्पादन कार्यक्रम में फायदा मिलता है.

बुग्गी वाले सांड का इस्तेमाल न करें
तीसरा तरीका होता है कि स्क्रब बुल से कृत्रिम गर्भाधान और प्राकृतिक गर्भाधान करना है. ये सांडों के लिए कतई सही नहीं है. सानियर साइंटिस्ट सज्जन सिंह कहते हैं कि स्क्रब बुल का कभी भी इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए. चाहे कृत्रिम गर्भाधान करा रहे हों या फिर और प्राकृतिक गर्भाधान कराना हो. स्क्रब बुल का मतलब ये है कि जो सांड बुग्गी आदि में इस्तेमाल किए जाते हैं. किसान भाई अक्सर इसका इस्तेमाल गर्भाधान के लिए करते हैं लेकिन ये कतई सही नहीं है. इसको करने से नस्ल सुधार को भी झटका लगेगा और उत्पादन पर भी असर पड़ेगा. क्योंकि आपको पता ही नहीं होगा कि जिस सांड का इस्तेमाल किया जा रहा है उसकी मां कितना दूध उत्पादन करती थी. सांड को कोई बीमारी तो नहीं है.

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