नई दिल्ली. मुर्गियों में दक्षिण पंजाब, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और आंध्र प्रदेश में पाई जाने वाली असील मुर्गी खासतौर पर मीट उत्पादन के लिए बहुत ही बेहतर होती है. क्योंकि यह अंडा उत्पादन करने में कमजोर मानी जाती हैं. इनका मुंह लंबा और बेलनकार होता है जो की पंखों, घनी आंखों, लंबी गर्दन और छोटी पूंछ के साथ नहीं होता. इनकी टांगे मजबूत और सीधी होती हैं. इस नस्ल की मुर्गी का भार 4 से 5 किलो और मुर्गी का 3 से 4 किलो होता है. इसके कोकराल युवा मुर्गे का वजन 3.30 किलो से 4.30 किलो और मुर्गी का औसतन भर ढाई से 3.30 किलो होता है. ये मुर्गियां उच्च सहनशक्ति, झगड़ालूपन और जबरदस्त लड़ने की शक्ति की वजह से अपनी अलग पहचान रखती हैं.
अच्छी तरह से देखभाल के लिए क्या करें
इनके लाल मिश्रित रंग के पंख होते हैं. असील की सभी नस्लों में रेजा हल्की लाल, टीकर भूरी चित्ता काले और सफेद सिल्वर, कगार काली, यारकिन काली और लाल और पीला सुनहरी लाल नस्लें सबसे ज्यादा मशहूर हैं. एक्सपर्ट कहते हैं कि इनकी अच्छी देखभाल के लिए जीरो से 10 सप्ताह की मुर्गी बच्चों के आहार में 10 से 20 प्रोटीन देना जरूरी होता है. मीट पक्षी जैसे तीतर, बटेर और तुर्की के लिए 22 से 24 फीसदी प्रोटीन की आवश्यकता होती है. प्रोटीन की उच्च मात्रा से मुर्गी के बच्चों को के शरीर में वृद्धि होती है. वृद्धि के लिए उनके आहार में लगभग 15 से 16 फीसदी प्रोटीन होना जरूरी है. मुर्गी के बच्चों के पानी में एक से चार कप चीनी और एक चम्मच टैरामाइनस शामिल होना चाहिए. फिर उसके बाद सामान्य पानी दिया जाना चाहिए. प्रत्येक चार बच्चों के लिए चौथाई पानी दें. पानी का ताजा साफ होना जरूरी है.
शेल्टर में किन बातों का रखें ख्याल
शेल्टर की बात की जाए तो मुर्गी पालन के उपयोग जमीन का सही चयन किया जाना चाहिए, जहां पर ज्यादा से ज्यादा बच्चे, अंडे विकसित हो सकें. शेल्टर सड़क से कुछ ऊंचाई पर होना चाहिए ताकि बारिश का पानी आसानी से बाहर निकल जाए. इसे उनका बाढ़ से बचाव होगा. शेल्टर में ताजे पानी के प्रबंध होना चाहिए. 24 घंटे बिजली की आपूर्ति जरूरी है. मुर्गियों का आश्रय औद्योगिक और शहरी क्षेत्र से दूर होना चाहिए. क्योंकि इससे मुर्गियों की खाद्य वातावरण में प्रदूषण होगा. मक्खियों की समस्या भी होती है. ऐसा आश्रय हो जहां शोर नहीं हो. शोर की समस्या से उनके उत्पादन पर प्रभाव पड़ता है. यहां आपको ये भी बताते चलें कि असली मुर्गे को ठीक प्रकार से तैयार किया जाए तो ये 10 हजार रुपये तक बिकता है.
एक अंडे की कीमत 70 रुपये
मुर्गियों से कोई बीमारियों से बचने के लिए और अच्छी वृद्धि के लिए टीकाकरण करना जरूरी है. जब बच्चा एक दिन का हो तो उसे मार्कएस बीमारी से बचने के लिए एचवीटी का टीका लगावाएं. इस का प्रभाव 18 महीने तक रहता है. जब बच्चा 4 से 7 दिन का हो तो उसे सनीखेत बीमारी से बचने के लिए आरडी वैक्सीनेशन F1 स्टैंड का टीका लगवाना चाहिए. 18 से 21 दिन हो का होने पर आईबीडी टीका लगवाएं. 6 से 8 सप्ताह का हो तो रानीखेत बीमारी से बचाने के लिए आरडी एफ1 टीका लगवाना चाहिए. 8 से 10 सप्ताह का होने पर चिकन पॉक्स बीमारी से बचने के लिए चिकन पॉक्स का टीका लगाना जरूरी होता है. असील मुर्गियां साल में 60 से 70 अंडे ही देती हैं. हालांकि अंडे की कीमत समान्य मुर्गियों से ज्यादा होती है. असील मुर्गी के एक अंडे की कीमत मार्केट में 100 रुपये तक होती है. ऐसे में आप सिर्फ एक मुर्गी से साल में 60 से 70 हजार रुपये की कमाई कर सकते हैं.
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