नई दिल्ली. कई बार पशुपालक भाई अनजाने में फार्म में पैदा हुए बछड़े और बछियों को उनकी जरूरत के मुताबिक खुराक नहीं देते हैं. इसके चलते उन्हें परेशानी होती है. बेहद जरूरी है कि ये जान लिया जाए कि बछड़े और बछियों को क्या खिलाना है, ताकि उनकी ग्रोथ अच्छी हो. क्योंकि शुरुआत में उनकी खुराक में की गई लापरवाही हो सकता है कि हमेशा के लिए बछड़े या फिर बछिया को कमजोर कर दें. उनका सही से शरीरीकि विकास न हो. अगर उनका सही से शारीरिक विकास नहीं होगा तो इसका सीधा सा मतलब है कि आगे चलकर नुकसान होना पड़ेगा.
ये बेहद जरूरी है कि जान लिया जाए कि बछड़ों को क्या खिलाना है. मवेशियों के बछड़ों को खिलाने के लिए यहां कुछ जरूरी सुझाव दिए गए हैं. उसी में से एक है जन्म के तुरंत बाद कोलोस्ट्रम देना. ये सुझाव स्वस्थ बछड़े की वृद्धि और विकास सुनिश्चित करने में मदद करते हैं, जिससे भविष्य में मजबूत मवेशी उत्पादन की नींव रखी जा सके.
कोलोस्ट्रम देना क्यों है जरूरी
मां द्वारा उत्पादित पहला दूध कोलोस्ट्रम, नवजात बछड़ों के लिए एंटीबॉडी और जरूरी पोषक तत्वों से भरपूर होता है. यह उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने में मदद करता है और ऊर्जा देता है. आदर्श रूप से, बछड़ों को जन्म के बाद पहले कुछ घंटों के भीतर कोलोस्ट्रम का सेवन करना चाहिए. क्योंकि 24 घंटों के बाद एंटीबॉडी को अवशोषित करने की उनकी क्षमता कम हो जाती है. अगर मां का कोलोस्ट्रम उपलब्ध नहीं है, तो उच्च गुणवत्ता वाले कोलोस्ट्रम विकल्प का उपयोग करें.
लगातार दूध या दूध की जगह पर दूध पिलाएं
कोलोस्ट्रम पिलाने के बाद, जीवन के पहले कुछ हफ्तों तक बछड़ों को दूध या दूध की जगह पर दूध पिलाना जरूरी है. बछड़ों को हर बार दूध पिलाने के लिए 2-3 लीटर दूध या दूध की जगह पर दूध पिलाना चाहिए और बछड़े के आकार और स्वास्थ्य के आधार पर उन्हें दिन में 2-3 बार दूध पिलाना चाहिए. जैसे-जैसे वे बड़े होते हैं, उन्हें धीरे-धीरे कम तरल-आधारित आहार पर ले जाएं, लेकिन सुनिश्चित करें कि उन्हें इष्टतम विकास के लिए पर्याप्त पोषक तत्व मिल रहे हैं.
धीरे-धीरे ठोस आहर दें
लगभग 3 से 4 हफ्ते की उम्र में, उच्च गुणवत्ता वाले बछड़े के स्टार्टर अनाज और घास जैसे ठोस आहार देना शुरू करें. इससे रूमेन का विकास शुरू हो जाता है. सुनिश्चित करें कि ठोस चारा ताजा और दूषित पदार्थों से मुक्त हो, और तय करें कि बछड़े को हमेशा साफ पानी उपलब्ध हो. बछड़े के बढ़ने के साथ-साथ ठोस आहार की मात्रा धीरे-धीरे बढ़ाएँ ताकि उचित पाचन और रूमेन विकास को बढ़ावा मिले, जिससे बछड़ा दूध छुड़ाने के लिए तैयार हो सके.
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