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Buying Bull Tips: सांड खरीदते वक्त किन बातों का रखें ख्याल, जानें यहां डिटेल

In the last few years, the problem of stray cattle has taken a frightening form in Uttar Pradesh and other states.
सांड की प्रतीकात्मक फोटो।

नई दिल्ली. गाय पालन हो या फिर भैंस पालन. सभी में नस्ल बेहद जरूरी होती है. अगर गाय-भैंस नस्लीय हैं तो इसके बड़े फायदे हैं. जैसे गाय ज्यादा दूध देने वाली होगी. नस्लीय होगी तो बीमारियां भी कम लगेंगी. ग्रोथ भी अच्छी होगी. उसी तरह सांड में वो सभी खूबियां होनी चाहिए, जिससे गाय-भैंस की नस्ल सुधरने के साथ ही दूध भी अच्छा मिलेगा और मुनाफा बढ़ेगा.

अगर आपके बाड़े में अच्छा सांड है तो वो भी महीने की अच्छी कमाई कराता है. आज पशुओं को गाभिन कराने के लिए आर्टिफिशियल इनसेमिनेशन (एआई) का इस्तेमाल किया जाता है. अगर ब्रीडर सांड में क्वालिटी है तो उसका सीमेन भी अच्छे दाम पर बिकता है. बड़ी-बड़ी डेयरियों में ऐसे सांड की डिमांड रहती है.

ऐसा होना चाहिए सांड: सांड खरीदते समय कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है. अधिकतर मुख्य बातें प्रायः गायों जैसी ही होती है. सांड के नस्लगत गुण, सामान्य बनावट, अंगविन्यास, चारा खाने की क्षमता इत्यादि ऐसे गुण है, जिनकों सांड और गायों दोनों में समान रूप से महत्व दिया जाता है. इनके अलावा सांड में पौरुषता, निर्भीकता और कठोरता जैसे गुण भी होने चाहिए. उनका सिर बड़ा, सींग मोटे और सीधे होने चाहिए. दोनों आंखों के बीच की दूरी अधिक हो. गर्दन चौड़ी, छाती चौड़ी और कन्धे मादा की अपेक्षा ऊंचे होने चाहिए. सांड की टांगें मजबूत सीधी और बलिष्ठ होनी चाहिए. सांड के वृषण पूर्ण विकसित और सभी प्रकार से दोषरहित होने चाहिए. यदि संभव हो तो सांड के शुक्र का भी परीक्षण करना चाहिए. प्राकृतिक गर्भाधान के लिए सांड की उम्र कम से कम ढाई साल और वजन 350 किलोग्राम होना चाहिए. कम उम्र के सांड को सप्ताह में दो या तीन बार ही इस्तेमाल करना चाहिए.

अपनाएं ये तरीके:


सांड का बाड़ा आरामदायक और बड़ा हो, जहां से वह अन्य पशुओं को आसानी से देख सके.
बाड़ा ऐसा हो जो उसे अधिक गर्मी और सर्दी से सुरक्षित रख सके.
खूंखार सांड से किसान की सुरक्षा का इंतजाम बाड़े में अवश्य रखें.
प्राकृतिक गर्भाधान का स्थान बाड़े से दूर होना चाहिए.
भैंस पर सांड केवल एक बार ही कुदाना चाहिए. दो या तीन बार सांड को कुदाने की न ही कोई आवश्यकता है और न ही कोई लाभ.
एक भैंस को गाभिन करने के बाद झोटे को एक दिन का अंतर देकर अगली भैंस पर कुदाना चाहिए.
झोटे को कुदाते वक्त यदि भैस की योनि पर गोबर लगा हो तो उसे पानी से या साफ कपड़े से अच्छी तरह साफ करना चाहिए.
झोटे को संगम कराने से पहले उसे मैथुन के लिए उत्तेजित करना आवश्यक होता है. इसके लिऐ झोटे को दो-तीन बार भैंस के ऊपर कुदाएं और तुरंत हटा ले, ताकि संगम न हो सके. इसके बाद ही झोटे और भैस का वास्तविक मिलन कराएं.
यदि झोटा सुस्त है तो भैस दिखाने के बाद उसे दूर ले जाए.

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