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Ice Crame: अब ऊंटनी के दूध की भी बिकेगी आइसक्रीम, टेस्ट के साथ सेहत के लिए भी है बेहतर

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टेक्नोलॉजी ट्रांसफर करते अधिकारी.

नई दिल्ली. आइसक्रीम के तो हम सभी शौकीन है. ऐसा कौन है जो आइसक्रीम नहीं खाता है. ज्यादा आइसक्रीम गाय—भैंस के दूध से बनती है लेकिन अब आपको ऊंटनी के दूध से भी बनी हुई आइसक्रीम खाने को मिलेगी. एक्सपर्ट की मानें तो ऊंटनी के दूध में कई औषधीय गुण होते हैं. इससे बनाई गई आइसक्रीम टेस्टी तो होगी ही साथ ही इससे सेहत को भी कोई नुकसान नहीं अलब्बता फायदा होगा. इसको देखते हुए नेशनल कैमेल रिसर्च सेंटर (NRCC) ने ऊंटनी के दूध से बनाई गई आइसक्रीम बनाने की टेक्नोलॉजी श्री खेतरपाल उद्योग, गांव मूंडसर, बीकानेर को ट्रांसफर किया है.

इसके लिए एनआरसीसी और श्री खेतरपाल उद्योग के बीच एमओयू किया गया है. जिसमें केन्द्र के निदेशक डॉ. आरके सावल और इस कंपनी के प्रोपराइटर मुन्नी राम चौधरी ने साइन किया. वहीं डॉ. आरके सावल ने कहा ऊंटनी के दूध में तमाम औषधीय गुण होते हैं. इसकी लोकप्रियता और सामाजिक स्वीकार्यता तेजी से बढ़ रही है. तमाम बीमारियों जैसे मधुमेह, टीबी, ऑटिज्म आदि के लिए ऊंटनी का दूध का महत्वपूर्ण होता है. ऊंटनी के दूध केे व्यवसाय को अपनाने के लिए युवा, ऊंटनी के दूध से विकसित प्रोडक्ट की टेक्नोलॉजी को एक्सेप्ट कर रहे हैं. डॉ. सावल ने कैमल मिल्क आइसक्रीम प्रोडक्ट की तकनीक पर कहा कि ऊंटनी के दूध से निर्मित आइसक्रीम का निर्माण करते समय, इसी दूध की क्रीम का इस्तेमाल करने पर इसमें मौजूद जरूरी वसीय अम्ल, मानव त्वचा, मांसपेशियों व दिल को स्वस्थ्य बनाए रखने में काफी मददगार साबित हो सकेंगे.

कंपनी ने एमओयू पर जताई खुशी
एमओयू के अवसर पर श्री खेतरपाल उद्योग गांव मूंडसर, बीकानेर के प्रोपराइटर मुन्नी राम चैधरी ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि फर्म का गाय व भैंस के दूध का पारंपरिक व्यवसाय है लेकिन ऊंटनी के दूध की इंसानों के हैल्थ में उपयोगिता खासकर शुगर रोग में इसके फायदे को देखते हुए एनआरसीसी से आइसक्रीम उत्पाद बनाने की टेक्नोलॉजी ली गई है. चौधरी ने शुगर फ्री आइसक्रीम उत्पाद तैयार कर सबसे पहले बीकानेर के गांवों तथा स्थानीय नगर स्तर पर इसकी लोकप्रियता व पहुंच बढ़ाने के लिए अन्य गैर सरकारी संगठनों के साथ मिलकर घर-घर सम्पर्क करने करने की बात कही.

एनआरसीसी ने ट्रेनिंग भी दी
एनआरसीसी की कैमेल डेयरी टेक्नोलॉजी और प्रोसेसिंग इकाई के प्रभारी डॉ. योगेश कुमार ने कहा कि केन्द्र द्वारा ऊंटनी के दूध से नई तकनीक के जरिए कैमेल के दूध से बनी आइसक्रीम बनाने की विधि तथा अन्य महत्वपूर्ण तकनीकी पहलू, कम्पनी को हस्तांतरित किए गए हैं. जबकि जरूरी तकनीकी प्रशिक्षण भी दिया गया है. जिससे कंपनी कैमल मिल्क आइसक्रीम का उत्पादन कर सकेगी. उन्होंने इसे स्व-रोजगार का अच्छा अवसर बताते हुए कहा कि इच्छुक ऊंट पालक, किसान, गैर सरकारी संगठन उद्यमी, उत्पादक संगठन, डेयरी उद्यमी, एजेंसीज तथा बेरोजगार व्यक्ति आदि केन्द्र से सम्पर्क कर तकनीकी हस्तांतरण के बारे में विस्तृत जानकारी हासिल कर सकते हैं.

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