नई दिल्ली. जमीन पर ऐसे बहुत से जीव-जंतु हैं, जिनके बारे में आपने पहली बार सुना या पढ़ा होगा तो जिसको जानने के बाद आप हैरान रह गए होंगे. ऊंट के बारे में ये मशहूर है कि वह रेगिस्तान का जहाज कहा जाता है. यानी ज्यादातर ऊंट रेगिस्तान में ही मिलते हैं लेकिन क्या आपने कभी सुना है कि कोई ऐसा भी ऊंट है, जो धरती पर नहीं बल्कि पानी में ज्यादा रहना पसंद करता है. दरअसल कच्छ में दो प्रकार के ऊंट पाए जाते हैं, जो कच्छी और खराई के नाम से जाने जाते हैं. आईए जानते हैं उनके बारे में.
समुंद्री पेड़ है इसका मुख्य भोजन
ऊंट की खाराई नस्ल की कई मायनों में खास होती है, क्योंकि यह ऊंट अपना भोजन पानी के लिए रेगिस्तान में नहीं बल्कि पानी में जाता है. या समुद्र को पार कर सकता है. ऊंट की इस प्रजाति को राष्ट्रीय मान्यता भी हासिल हुई है. यह कच्छ के तटीय गांव में पाया जाता है. ऐसा इसलिए नहीं क्योंकि इसे पानी में रहना पसंद है बल्कि अपने खाने की वजह से पानी में रहना पसंद करता है. क्योंकि इस ऊंट का मुख्य भोजन चेर नाम का समुंद्री पौधा है, जो समुद्री तट पर पाया जाता है. जिसे खाने के लिए यह ऊंट समुद्र के पानी में रहना पसंद करता है.
इन इलाकों में मिलते हैं
इस नस्ल के ऊंट को समुद्र में जाना वहां की वनस्पति खाना बेहद पसंद होता है. खराई ऊंट अकेले ही समुंद्र में डेढ़ से 2 किलोमीटर तक तैर सकता है. यह भोजन के लिए चेरिया जो एक प्रकार की वनस्पति है जो जंगलों में मिल जाती है उसे खाता है. कच्छ में खराई ऊंट खाड़ी क्षेत्र में भचाऊ तालुका के चिराई से लेकर वोंध, जंगी अंबलियारा और सूरजबड़ी तक पाए जाते हैं.
दूध से बनते हैं कई उत्पाद
जानकारी के मुताबिक रबारी और जाट समुदाय के लोग पशुपालन के रूप में इसकी देखभाल करते हैं. इस प्रजाति का मुख्य भोजन चेरिया नाम का पेड़ है जो समुद्र में उगता है. बताया जाता है कि साल 2012 तक इन ऊंट की संख्या 4000 थी, लेकिन अब घटकर 2000 ही रह गई है, जो काफी कम बताई जा रही है. इन क्षेत्रों में पाई जाने वाली ऊंटनी के दूध का इस्तेमाल आइसक्रीम, चॉकलेट और अन्य उत्पाद के लिए किया जाता है. इस दूध को पीने के कई फायदे भी बताए जाते हैं.
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