नई दिल्ली. रेगिस्तान का जहाज कहा जाने वाला ऊंट राजस्थान ही नहीं आज देश के बड़े हिस्से में किसानों के लिए आमदनी का जरिया बन गया है. ऊंट में एक बीमारी बहुत नुकसानदायक होती है. सर्रा रोग ऊंट में पाया जाने वाला एक भयंकर और जानलेवा रोग है जोकि परजीवी के कारण होता है और यह परजीवी ऊंट में मक्खियों के काटने के कारण प्रवेश कर जाता है. ऊंट में यह रोग 10 से 20 दिन से लेकर 3 साल तक भी चलता है. एक्सपर्ट कहते हैं कि वक्त रहते इस बीमारी का इलाज न किया जाए तो ऊंट की मौत भी हो सकती है और इतना नहीं ये बीमारी तेजी के साथ दूसरे ऊंटों तक पहुंच जाएगी, जिसका नुकसान ऊंट पालन करने वालों को होगा. इसलिए इसके लक्षण और इलाज के बारे में ऊंट पालक को पता होना चाहिए. आइए जानते हैं.
राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केंद्र बीकानेर राजस्थान के प्रिंसिपल साइंटिस्ट डा. राकेश रंजन का कहना है कि इसके लक्षण की बात की जाए तो ऊंट का अचानक कमजोर हो जाना, रुक-रुक कर उनको बुखार आना, आंख से पानी बहना, झिल्ली का सफेद होना, आंखों के ऊपर हिस्से में सूजन आना, शरीर के निचले हिस्सों में सूजन और खुजली होना है. साथ ही गर्भवती ऊंट में भी परजीवी खून को संक्रमित कर सकते हैं. जिस कारण गर्भपात भी हो सकता है. सर्रा से ग्रसित ऊंट अपने झुंड से अलग रह जाता है. लंबी दूरी तक चलने में असमर्थ रहता है.
बीमारी होने पर क्या करें एहतियातः सर्रा रोग से बचाव के लिए रोग ग्रस्त ऊंट को स्वस्थ ऊंट से अलग कर देना चाहिए. परजीवी को खत्म करने के लिए दवा का इस्तेमाल करना चाहिए. ऊंट के आसपास साफ सफाई रखनी चाहिए. आसमान्य लक्षण दिखने पर पशु चिकित्सक से जरूर सलाह लें. सर्रा रोग के कारण मांसपेशियों में आई दुर्बलता पशुओं की उत्पादन क्षमता को प्रभावित करती है. साथ ही अप्रत्यक्ष लक्षणों के कारण अचानक ऊंट की मृत्यु हो सकती है. जिसकी वजह से ऊंट पलकों को नुकसान पहुंचता है .
जानलेवा है ये बीमारीय प्रिंसिपल साइंटिस्ट आगे बताया कि सर्रा रोग ऊंट की गंभीर बीमारी है. ये हेमा प्रोटोजोआ के कारण होती है. यह बीमारी संक्रमित पशुओं से स्वस्थ पशु तक रक्त चूसने वाली मक्खियों के जरिए फैलती है. इन मक्खियों में ऑक्टमोक्सिस प्रमुख हैं. यह मक्खियां बीमार पशुओं से स्वस्थ पशु में फैलती है. यदि समय पर इसका इलाज न कराया जाए तो संक्रमित ऊंट की मृत्यु भी हो जाती है. क्योंकि यह बहुत ही जानलेवा बीमारी है.
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