नई दिल्ली. क्या आपको पता है कि मुर्गे-मुर्गियों को भी हार्ट अटैक आता है. इसके कारण उनकी मौत भी हो जाती है. कई बार चिकन के बाजार में उतार-चढ़ाव की वजह से ऐसे हालात पैदा होते हैं. जिसकी वजह से मुर्गों का वजन बहुत ज्यादा बढ़ जाता है और फिर उन्हें हार्ट अटैक आ जाता है. इसका कारण उनकी मौत हो जाती है. ऐसी मुर्गे जिनका वजन ज्यादा बढ़ जाता है, उसकी डिमांड नहीं रहती और वह कम दामों पर भी बिकते हैं. यह अलग बात है कि आम जनता को इस बारे में पता न होने की वजह से रिटेल में इसके दाम पर असर नहीं पड़ता है.
पोल्ट्री एक्सपर्ट कहते हैं कि लॉकडाउन के दौरान हजारों मुर्गे और मुर्गियों की मौत हार्ट अटैक की वजह से हुई थी. क्योंकि बाजार में यह बिकने के लिए नहीं जा पा रहे थे. पोल्ट्री फार्म में ही पड़े-पड़े इनका वजन बढ़ गया था और अचानक से इनपर आफत टूट पड़ी थी. आपको बताते चलें कि मुर्गो को हार्ट अटैक की समस्या सर्दी है गर्मी में कभी भी हो सकती है. मौसम का इस पर कोई असर नहीं होता.
वजन बढ़ते ही बढ़ जाता है हार्ट अटैक का खतरा
पोल्ट्री एक्सपर्ट कहते हैं कि जब मुर्गा 3.5 किलो से ऊपर का हो जाता है तो चलने फिरने में उसे परेशानी होने लगती है. वह एक ही जगह बैठा रहता है. उसी जगह अगर खाने को मिल गया तो उसने खा लिया. दूसरी जगह जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाता. खुद चलकर पानी भी नहीं पीता और काफी देर तक वह भूखा रहता है. कुछ इस तरह के हालात में मुर्गों को हार्ट अटैक आ जाता है. फिर कुछ मामलों में उनकी भूख से भी मौत हो जाती है.
इस तरह के मुर्गों की बाजार में रहती है डिमांड
एक्सपर्ट के मुताबिक 15 दिन का बॉयलर मुर्गा 500 से 600 ग्राम का हो जाता है. जबकि 15 दिन के बाद मुर्गों की भूख और ज्यादा खुल जाती है. इस दौरान उन्हें दिन में और रात में भी खाने के लिए कुछ ना कुछ चाहिए होता है. यही वजह है कि 30 दिन वाला मुर्गा 900 से 1200 ग्राम तक का हो जाता है. इस वजन का मुर्गा तंदूरी चिकन के लिए बेहद अच्छा माना जाता है. वहीं 35 दिन का बॉयलर मुर्गा 2 किलो और चार 40 दिन का मुर्गा ढाई किलो तक का हो जाता है. इस वजन के मुर्गों की बाजार में अच्छी खासी डिमांड रहती है जिसका दाम भी अच्छा मिलता है.
क्या देशी मुर्गों को भी होता है अटैक ?
पोल्ट्री के जानकार कहते हैं कि कहते हैं कि ढाई किलो के बाद मुर्गा मोटा और 3 किलो के ऊपर का वजन का मुर्गा सुपर मोटा की कैटेगरी में आ जाता है. इस वजन का मुर्गा सस्ता हो जाता है लेकिन उसकी डिमांड नहीं रहती है. यहां आपके लिए ये जानना भी बेहद ही जरूरी है कि हार्ट अटैक की समस्या सिर्फ ब्रायलर नस्ल के मुर्गे और मुर्गियों में ही आती है. देसी मुर्गियों में नहीं. जबकि देशी मुर्गों का वजन 5.6 से 6 किलो तक का वजन हासिल कर लेता है.
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