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Poultry: चूजों के दिल और लीवर पर अटैक करता है ये वायरस, जानें बचाव का क्या है तरीका

livestockanimalnews- kisan andolan: Chicken supply will be affected in Delhi
प्रतीकात्मक फोटो. livestockanimalnews

नई दिल्ली. पशुपालन में जिस तरह से कई तरह की बीमारियों का असर पशुओं पर पड़ता है और इससे उत्पादन घट जाता है. ठीक उसी तरह से पोल्ट्री फार्मिंग में भी मुर्गियों को बीमारी होती है. अगर मुर्गियों को बीमारियों से बचा लिया जाए तो इसमें फायदा और ज्यादा बढ़ जाएगा. जबकि बीमारियां लग जाने से उत्पादन के साथ-साथ मुर्गियों के इलाज पर जेब से अलग से पैसे लगाने होते हैं. पोल्ट्री फार्मिंग में कई बीमारियां ऐसी हैं, जो चूजों को अपनी गिरफ्त में ले लेती हैं. इन्हीं बीमारियों में से एक बीमारी है लीची रोग, जिसमें चूजे ज्यादा प्रभावित होते हैं.

एक्सपर्ट का कहना है कि चूजों में लीची रोग, एक अत्यधिक संक्रामक सांस से जुड़ी बीमारी है. यह डिंबवाहिनी (Oviduct) को भी प्रभावित करती है और कुछ प्रजातियों में गुर्दे को भी प्रभावित करने की प्रवृत्ति होती है. इस बीमारी से कम उम्र के चूजे, खासकर 6 सप्ताह से कम उम्र के, ज़्यादा संवेदनशील होते हैं. एक्सपर्ट की बात मान ली जाए तो जब पोल्ट्री फार्मिंग में चूजों की एंट्री हो और ये आगे चलकर 6 सप्ताह के हो जाएं तो उनपर खास ध्यान देने की जरूरत होती है.

आइए इसके बारे में जानें लीची रोग
एक्सपर्ट के मुताबिक यह चूजों की एक संक्रामक बीमारी है, जिसमें मुर्गियों का लीवर और दिल प्रभावित होता है. मृत्यु दर 100 प्रतिशत तक हो सकती है. इसलिए इसे बड़ी ही खतरनाक बीमारी माना गया है. इस बीमारी से पोल्ट्री फार्मिंग में बड़ा नुकसान हो सकता है. अगर इसके कारण की बात​ की जाए तो यह बीमारी वायरस (एडीनो वायरस समूह) जनित है. जबकि इस बीमारी का प्रसार खाने-पीने के बर्तनों द्वारा होता है. इसलिए इन्हें अच्छी तरह से साफ रखना बहुत ही जरूरी होता है.

क्या हैं इस बीमारी के लक्षण
ये बीमारी 3-6 सप्ताह के उम्र के चूजों में ज्यादा होती है.

वहीं इस बीमारी का असर ब्रॉयलर चूजों में अधिक देखने को मिलता है.

इस बीमारी की वजह से चूजे सुस्त एवं उदास हो जाते हैं.

इस बीमारी में चूजों में बिना किसी लक्षण के अत्यधिक मृत्यु दर हो जाती है.

चूजे आंख बंद कर सीने एवं चोंच को जमीन पर रखकर एक विशेष मुद्रा में बैठते हैं.

दिल के चारों ओर जैलीनुमा पानी भर जाता है तथा दिल (हृदय) छिले हुए लीची के फल के सदृश्य दिखाई देता है.

मुर्गी के गुर्दे भी खराब हो जाते हैं. मुर्गियों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है.

टीकाकरण करना है बेहद जरूरी
टीकाकरण से लीची रोग से बचाव व रोकथाम किया जा सकता है. एचपी वैक्सीन का उपयोग 7 दिन के चूजे में किया जाना चाहिये. ​इससे चूजों को बचाया जा सकता है. एक्सपर्ट कहते हैं लीची रोग से बचाने के लिए चूजों को वैक्सीन जरूर लगवानी चाहिए.

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