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CIRG की इन टिप्स को पढ़कर खुद पता लगाएं बकरे और बकरियों की बीमारी

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प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. बकरियों की मेंगनी-यूरिन से भी होती है बीमारी की पहचान, जानें क्या कहते हैं एक्सपर्ट अक्सर हम ये सोचते हैं कि जब बकरी का चेकअप कराएंगे तब ही पता चलेगा कि वो बीमार है या नहीं. हालांकि बकरी पालक बकरियों के बाड़े में लगातार बकरियों की देखभाल करें और उसपर नजर बनाए रहें तो वो खुद भी बीमारी के बारे में पता कर सकते हैं. इस संबंध में केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी), मथुरा के साइंटिस्ट का कहना है कि बकरी पालक बकरी की मेंगनी और उसके यूरिन को देखने भर से बीमारी का पता लगा सकते हैं. ऐसे में डॉक्टर के पास जाने से पहले मेंगनी और यूरिन की जांच भी कराया जा सकता है.

सीआईआरजी के डायरेक्टर मनीष कुमार चेटली की मानें तो यूथ रूरल एंटरप्रेन्योर फाउंडेशन (YREF) गाजीपुर, यूपी के साथ एक करार किया है. जिसके तहत यह संस्था बकरी पालकों को साइंटीफिक तरीके से बकरी पालन के टिप्स देगा. पुराने तरीकों के अलावा बकरी और बकरे को रखने के शेड, चारा, टीकाकरण, कृत्रिम गर्भाधान आदि के बारे में साइंटीफिक तरीके से जानकारी दी जा रही है. इस समझौते का मकसद ये भी है कि उन युवाओं को सीआईआरजी के साथ जोड़ने का काम किया जाए और जो बकरी पालन करने की सोच रहे हैं. गौरतलब है कि बकरी पालन में पशुपालक को सबसे ज्यादा नुकसान बकरियों की मौत से ही होता है. ऐसे में एक्सपर्ट की मानें और छोटी-छोटी बातों पर गौर किया जाए और लगातार बकरियों को अपनी निगरानी में रखा जाए तो इससे उन्हें बीमारियों से बचाया जा सकता है.

अब सवाल उठता है कि इस बारे में एक आम बकरी पालक को कैसे जानकारी मिले. सीआईआरजी के प्रिंसीपल साइंटिस्ट डॉ. आरएस पवैया ने बताया कि अगर बकरी गोल, चमकदार और सॉलिड मेंगनी कर रही है तो ये इस बात का संकेत है कि बकरी का पेट ठीक है. जबकि बकरी की मेंगनी आपस में चिपकी हुई और गुच्छे की शक्ल में आ रही है तो फौरन होश्यिार हो जाना चाहिए और ये इस बात के संकेत हैं कि आपकी बकरी बीमार होने वाली है. ये भी आपको मान लेना चाहिए कि बकरी की आंत में किसी न किसी तरह का इंफेक्शन हो गया है. या फिर बकरी डायरिया की चपेट में आ चुकी है. ऐसे में सबसे पहला काम यह होना चाहिए कि पशुपालक उन मेंगनी को एक जिप वाली पॉलीथिन में इकट्ठा करके पशु चिकित्सा से जुड़ी किसी लैब में ले जाकर उसकी जांच करानी चाहिए.

डॉ. आरएस पवैया का कहना है कि यूरिन की निगरानी से भी बहुत सारी बीमारियां पहले से पता की जा सकती है. पशुपालकों को हमेशा इसपर ध्यान देना चाहिए कि बकरी के यूरिन का रंग भूसे यानि हल्के पीले रंग का होना चाहिए. यदि ऐसा है तो बकरी समान्य है. अगर गहरे पीले रंग का यूरिन आ रहा है तो इसका मतलब बकरे-बकरी ने पानी कम पिया है और उन्हें डिहाइड्रेशन की समस्या ने घेर लिया है. अगर यह रंग और ज्यादा गहरा पीला हो जाए और उसमे लालपन आने लगे तो ये समझ लेना चाहिए कि यूरिन की जगह पर बकरी को चोट लग गई है. जबकि यूरिन कॉफी कलर हो तो बकरी के खून में इंफेक्शन की निशानी है. ऐसे हालात में बकरी को फौरन ही किसी डॉक्टर को दिखाना चाहिए.

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