नई दिल्ली. पशुपालन में अगर पशुओं को बीमारी से बचा लिया जाए तो फिर प्रोडक्शन में कोई कमी नहीं आएगी न ही मुनाफे में. गाय और भैंस को पशुपालक इसलिए पालते हैं कि उन्हें ज्यादा से ज्यादा दूध का प्रोडक्शन मिले और इसे बेचकर वो कमाई कर सकें, लेकिन बीमारी की वजह से ये संभव नहीं हो पाता है. इसलिए जरूरी है कि पशुओं को बीमारी से बचाया जाए और उन्हें समय-समय पर टीका जरूर लगवाया जाए, तभी फायदा होगा. एक्सपर्ट का कहना सही समय पर टीका लगवाने में अगर पशुपालक लापरवाही करते हैं तो फिर पशुओं को बीमारी से बचाना बहुत मुश्किल हो जाएगा.
एक्सपर्ट के मुताबिक पशुओं को 8 बीमारियों के लिए वैक्सीन लगवानी चाहिए. इन बीमारियों से बचाव के लिए वैक्सीनेशन का समय निर्धारित है. उसी समय से वैक्सीन लगवा देने पर फिर किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं होगी.
एफएमडी
खुरपका-मुंहपका रोग के लिए पहली खुराक 4 माह की उम्र से ज्यादा हो जाने पर लगाया जाता है. पहली खुराक के बाद एक माह के गैप करना होता है और फिर वैक्सीन लगाई जाती है. बूस्टर डोज 6 महीने पर लगाया जाना चाहिए.
गलाघोंटू
गलाघोंटू बीमारी के लिए 6 माह और उससे अधिक होने पर वैक्सीन लगाई जाती है. बूस्टर दो साल में एक बार लगाना चाहिए.
लंगड़ा बुखार
लंगड़ा बुखार के लिए 6 माह और या इससे अधिक होने पर टीका लगवा देना चाहिए. बूस्टर डोज 1 साल की उम्र पर लगवाना वेतन होता है.
ब्रेसेलोसिस
ब्रूसेलोसिस बीमारी के लिए 8 से 6 माह की उम्र पर बच्चियों को टीका लगाया जाता है. बूस्टर डोज जिंदगी में एक बार देना चाहिए.
थाइलेरियोसिस
थाइलेरियोसिस बीमारी के लिए 3 माह से अधिक उम्र हो जाने पर लगाया जाता है. जिंदगी में एक बार सिर्फ विदेशी और संकर नस्ल की पशुओं के लिए वैक्सीन लगाना जरूरी होता है.
गिल्टी रोग
गिल्टी रोग के लिए 4 माह और से अधिक हो जाने पर वैक्सीन लगवा देना चाहिए. अगर रोग विशेष क्षेत्र है तो साल में एक बार टीका लगाया जा सकता है.
आईबीआर
आईबीआर बीमारी के लिए 3 माह से अधिक हो जाने पर टीका लगाया जाता है. पहली खुराक एक माह के बाद लगाई जाती है. छह माह पर टीका लगाया जा सकता है. इसकी वैक्सीन भारत में नहीं बनती है.
रैबीज
कई बार पशुओं को कुत्ते काट लेते हैं. इसलिए रैबीज बीमारी से बचने के लिए कुत्ते काटने की तुरंत बाद चौथे दिन लगाया जा सकता है. 7, 14, 28, 90 में दिन पूरा होने के बाद टीका लगवाना चाहिए.
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