नई दिल्ली. पशुपालन के लिए सबसे ज्यादा खतरा बीमारी की वजह से होता है. अगर पशु को बीमारी लग गई तो फिर उत्पादन पर तो असर पड़ता ही है. साथ ही पशुओं की सेहत खराब हो जाती है और अगर पशु की मौत हो गई तो एक झटके में हजारों रुपये का नुकसान पशुपालक को हो जाता है. इसलिए पशुपालक हमेशा ये कोशिश करते हैं कि पशुओं को बीमारी से बचाया जाए. एक्सपर्ट का कहना है कि पशुपालको को ऐसी नस्लों का चयन करना चाहिए जिनके अंदर रोग प्रतिरोधक क्षमता ज्यादा हो.
गुजरात की डगरी नस्ल, उन्हीं गायों में से एक है, जिसमें एफएमडी और अन्य बीमारियों से लड़ने की ताकत ज्यादा होती है. पशु एक्सपर्ट का कहना है कि इस नस्ल की गाय दूध भले ही कम देती है लेकिन बीमारियां जल्दी इन्हें चपेट में नहीं ले पाती हैं. जबकि इन्हें गुणवत्ता युक्त चारा और फीड खिलाया जाए तो दूध उत्पादन भी बढ़ सकता है.
कितना है एक ब्यात में दूध उत्पादन
डगरी नस्ल की गाय ब्यात के शुरूआत में अधिकांश दूध बछड़ो को पिलाने के उपयोग में लिया जाता है. आमतौर पर गाय का प्रतिदिन दूध उत्पादन डेढ़ से दो किलोग्राम और पूरे ब्यांत के दौरान 300-400 कि. ग्रा. होता है. कम दूध उत्पादन का मुख्य कारण असंतुलित आहार, सूखे चारे का उपयोग तथा पशुओं के मुख्य रूप से चरने पर निर्भर होने के कारण है. हालांकि खासियत ये है कि इस नस्ल में विपरीत परिस्थितियों में भी अच्छी तरह से टिके रहने की क्षमता होती है. इसके अलावा इन पशुओं के खुरपका, मुंहपका रोग तथा अन्य रोगों के प्रति रोग रोधक क्षमता अधिक होती है. स्थानीय किसानों से पूछने पर मालूम चला कि इन नस्लों में रोग व्याधि कम होती है.
इस तरह से बढ़ेगा उत्पादन
एक्सपर्ट कहते हैं कि इस नई नस्ल को मान्यता मिलना और साथ ही साथ इसका प्रचार प्रसार बहुत आवश्यक है. यदि संभव हो तो खास तौर पर इसके लिये ऊंची गुणवत्ता रखने वाली नर एवं मादा पशुओं को संग्राहित कर उसमें से ऊंची गुणवत्ता रखने वाली गायों तथा सांड का उपयोग कृत्रिम गर्मधारण अथवा प्राकृतिक प्रजनन के लिये उपयोग किया जा सकता है और इस तरह से भविष्य में लम्बे समय के लिये इन क्षेत्रों में डगरी गाय की नस्लों में अनुवांशिक सुधार होने से दूध उत्पादन क्षमता में भी विकास होगा और अच्छी गुणवत्ता के बैल भी मिल सकेंगे. खासकर यह ध्यान में रखना जरूरी है कि इन क्षेत्रों में डगरी गाय का अन्य नस्लों के साथ प्राकृतिक या कृत्रिम गर्माधान नहीं होना चाहिये. जिससे कि इस नस्ल की शुद्धता कायम रखते हुये इस क्षेत्र में इसकी अधिक से अधिक संख्या संरक्षित रहें.
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