नई दिल्ली. डेरी फार्मिंग का बिजनेस वैसे तो खूब कमाई कराने वाला धंधा है. इस वजह से बहुत से किसान इस काम को करके अपनी इनकम बढ़ा रहे हैं. सरकार भी पशुपालन और डेयरी फार्मिंग को बढ़ावा देने का काम कर रही है. वहीं आर्थिक रूप से कमजोर किसानों को वित्तीय सहायता दी जा रही है. ताकि वो डेयरी फार्मिंग का काम करें और अपनी इनकम को बढ़ा सकें. किसान अगर गाय पालते हैं तो दूध बेचकर उनकी कमाई होती है, लेकिन यह कमाई तभी तक रहती है, जब तक गाय दूध देती रहती है. उसके बाद कमाई बंद हो जाती है.
एक्सपर्ट का कहना है कि गाय एक ऐसा मवेशी है जो 30 लीटर भी दूध दे उसके बाद भी इसको पालने में कहीं ना कहीं किसानों को नुकसान होता है. जिसके चलते बहुत से लोग इस मवेशी को पालने से कतराते हैं. जबकि इसके दूध की क्वालिटी भैंस के दूध की क्वालिटी से बेहतर मानी जाती है. बावजूद इसके इस काम में नुकसान होता है. तो आईए जानते हैं कि कैसे 30 लीटर दूध देने वाली गाय पालने पर भी डेयरी फार्मर्स घाटे में रहते हैं.
एक वक्त के बाद नहीं मिलता है दूध
असल, में एक्सपर्ट का कहना है कि गाय तभी तक मुनाफा देती रहती है, जब तक कि वह दूध देती है. अगर गाय दूध देना बंद कर देती है तो फिर यह मुनाफा भी नहीं देती. अगर किसान इसको दूध बंद होने के बावजूद अपने बाड़े में रखते हैं तो उन्हें अपने पास से चारा खिलाना पड़ता है. बदले में उन्हें दूध नहीं मिलता है. यही वजह है कि बहुत से किसान गाय को छोड़ देते हैं, जो रोड पर टहलती नजर आती है. जिससे तमाम तरह की दिक्कतें भी है भी होती हैं. बता दें कि गाय कई वजह से दूध देना बंद कर देती है. एक तो उम्र के बाद उसका दूध उत्पादन बंद हो जाता है. वहीं कई बार उसे बीमारी हो जाती है, तब भी दूध देना बंद कर देती है.
अब बछड़ा भी किसी काम नहीं रह गया
वहीं गाय पालन में घाटे की वजह और भी है. मान लीजिए की गाय ने बछड़े को जन्म दिया तो भी यह काम का नहीं होता. इसे आपको बैठाकर खिलाना पड़ता है. क्योंकि एआई आने के बाद से इसे आप इसे खिला-पिला कर बुल भी बना सकते. क्योंकि अब पशुपालक एआई से गायों को गाभिन कराते हैं. इसलिए ब्रीडिंग के लिए भी बुल की ज्यादा जरूरत नहीं पड़ती है. जबकि आप एआई आधारित लैब अपने यहां बना नहीं सकते हैं, जिससे बुल का सीमेन इस्तेमाल करके आप गायों को गाभिन करा पाएं. इसलिए अगर बछिया नहीं बछड़ा पैदा हुआ तो उसे आपको छोड़ना पड़ेगा, या फिर इसे खिलाते रहिए. वहीं दूसरी ओर भैंस अगर बछड़े को जन्म दे तो एक डेढ़ साल का होने पर मीट के काम आ जाता है. वहीं जब भैंस दूध देना बंद करती है तब भी ये स्लाटर में चली जाती है.
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