हिसार. देश की जनसंख्या में लगातार इजाफा हो रही है. जैसे-जैसे जनसंख्या बढ़ रही है वैसे-वैसे दूध की मांग लगातार बढ़ रही है. जबकि पशुओं की संख्या में बेतहाशा गिरावट दर्ज की जा रही है, जो चिंता का विषय है. दूध की डिमांड को पूरा करने के लिए वैज्ञानिकों ने उच्च गुणवत्ता वाले पशुओं की संख्या को बढ़ाने पर जोर दिया है. इसे लेकर हिसार के केंद्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान (सी. आई. आर. बी.) में राष्ट्रीय दुग्ध दिवस के मौके पर 26 नवंबर को पशु चिकित्सा अधिकारियों के साथ चर्चा की जा चुकी है. बता दें कि स्वर्गीय डॉ. वर्गिज करें के 101वें जन्म जयंती पर उनकी याद में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने इस दिन को दुग्ध दिवस के रूप मानने का फैसला लिया है.
दूध देने वाले पशुओं पर अधिक ध्यान देने की जरूरत
सीआईआरबी के सीनियर साइंटिस्ट डॉक्टर सज्जन सिंह ने संस्थान में आयोजित एक समारोह में बोलते हुए उन्होंने कहा कि हमारा देश दुग्ध उत्पादन में पूरे विश्व में सबसे अधिक दुग्ध पैदा करने वाला देश है. देशभर से जमा किए आंकड़ों के अनुसार आज हम 206 मिलियन टन दुग्ध उत्पादन कर रहे हैं. आने वाले वक्त में भी हम अपने देश की जरूरत को पूरा करने के लिए प्रयास जारी रखने होंगे. उन्होंने कहा कि दुग्ध उत्पादन के लिए हमें उच्च गुणवत्ता वाले पशुओं की संख्या में इजाफा करनी होगी. अगर ऐसा नहीं करेंगे तो हमें आगे कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा, इसलिए बेहतर है कि समय रहते हम चेत जाएं और दूध उत्पादन बढ़ाने पर काम करें. हमें गुणवत्ता वाले दूध देने वाले पशुओं पर अधिक ध्यान देना होगा. गुणवता को बढ़ावा देने के लिए कृत्रिम गर्भाधान अपनाकर दुग्ध उत्पादन का बढ़ाना होगा. अभी तक विदेशी पशुओं का प्रति पशु उत्पादन हमारे पशुओं से अधिक है.
भैंस दुग्ध का व्यापार भैंस के ब्रांड से हो
सीआईआरबी के सीनियर साइंटिस्ट डॉक्टर सज्जन सिंह ने कहा कि हमारा प्रयास है की हम सभी इस दिशा में आगे बढ़ें और प्रति पशु उत्पादन को नस्ल सुधार के माध्यम से बढ़ाएं. साथ ही उच्च गुणवत्ता का दुग्ध उत्पादन कर विदेशों में व्यापार के अवसर तलाशने होंगे, जिससे किसानों की आमदनी में इजाफा हो सके. भैंस के दुग्ध उत्पादन में अपना एक विशेष महत्व है. भैंस दुग्ध का व्यापार भैंस के ब्रांड से हो.
35 फीसदी कृत्रिम गर्भाधान को आगे बढ़ाकर 50 प्रतिशत तक ले जाएं
डॉक्टर सज्जन सिंह ने कहा कि पूरी दुनिया में हमारी भैंस की अलगही पहचान है. भैंस ही निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त करने में सार्थक है. आज भी कुल दुग्ध उत्पादन का लगभग 50 प्रतिशत भैंसों से आता है जो आज किसानों की आजीविका का भी साधन है. वर्तमान में 35 प्रतिशत कृत्रिम गर्भाधान को आगे बढ़ाकर 50 प्रतिशत तक ले जाने का लक्ष्य निर्धारित करें, जो उच्च गुणवत्ता के वीर्य से हो.
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