नई दिल्ली. एनडीडीबी ने क्षेत्र में श्वेत क्रांति (डब्ल्यूआर) 2.0 के चलाने के लिए प्रगति की समीक्षा और रणनीतियों को अंतिम रूप देने के लिए एक पश्चिमी क्षेत्रीय कार्यशाला का आयोजन किया. जहां जिला दुग्ध संघों को डीसीसीबी यानि जिला केंद्रीय सहकारी बैंक से जोड़ने पर जोर दिया. बता दें कि डीसीसीबी से दुग्ध संघों को अगर जोड़ दिया जाए तो डीसीसीबी के माध्यम से दुग्ध संघों को एक बड़े और अधिक संगठित बाजार तक पहुंच मिल जाती है, जिससे किसानों को अपने उत्पादों को बेचने में मदद मिलती है. वहीं इसका फायदा किसानों को मिलता है और किसानों को फायदा बढ़ जाता है.
सहकारिता मंत्रालय भारत सरकार के संयुक्त सचिव सिद्धार्थ जैन ने वर्चुअली सभा को संबोधित किया और डेयरी मूल्य श्रृंखला के लिए समग्र दृष्टिकोण पर जोर दिया, जिला दुग्ध संघों को डीसीसीबी के साथ जोड़ने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला. उन्होंने जोर देकर कहा कि सहकारी समितियों के माध्यम से दूध संग्रह संगठित क्षेत्र के भीतर ही रहना चाहिए, जिसमें प्रसंस्करण, पैकेजिंग, भंडारण और विपणन के लिए उचित प्रक्रियाएं हों. उन्होंने नाबार्ड से पशुओं को शामिल करने के लिए केसीसी ऋण देने पर विचार करने का भी आग्रह किया.
इसमें है कई इनकम बढ़ाने वाली गतिविधि
दयानंद सावंत ने एनपीडीडी योजना के बारे में जानकारी दी और सभी दुग्ध संघों से योजना के तहत अपने लक्ष्य राज्य संघों को प्रस्तुत करने को कहा, ताकि अगली परियोजना संचालन समिति (पीएससी) की बैठक में समेकित राष्ट्रीय स्तर की योजना के अनुमोदन के लिए एनडीडीबी को आगे प्रस्तुत किया जा सके. डॉ. वी श्रीधर ने श्वेत क्रांति 2.0 और आगे के रास्ते का प्रेजेंटेशन दिया. उन्होंने अगले वर्ष के लिए राज्यवार लक्ष्यों और पिछले वर्ष की उपलब्धियों की जानकारी दी और इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए जमीनी स्तर पर कार्रवाई, प्रयासों और लगातार फॉलोअप की जरूरत पर ध्यान केंद्रित किया. नाबार्ड, पुणे की मुख्य महाप्रबंधक रश्मि दराद ने ग्रामीण आय में डेयरी के बढ़ते योगदान पर प्रकाश डाला और केसीसी, माइक्रो-एटीएम, पीएसीएस कम्प्यूटरीकरण और बहुउद्देशीय डीसीएस के माध्यम से वित्तीय पहुंच में सुधार करने पर जोर दिया, जिसमें कई आय पैदा करने वाली गतिविधियां हैं.
श्वेत क्रांति पर हुई चर्चा
वर्कशॉप में श्वेत क्रांति 2.0 के तहत डेयरी रणनीतियों पर संघवार चर्चा हुई, जिसमें नई समितियों के गठन और मौजूदा समितियों को मजबूत करने की कार्य योजनाएं शामिल थीं और यह भारत के डेयरी क्षेत्र में सतत विकास सुनिश्चित करने के लिए श्वेत क्रांति 2.0 के तहत राष्ट्रीय उद्देश्यों के साथ क्षेत्रीय प्रयासों को संरेखित करने में एक महत्वपूर्ण कदम है. कार्यशाला का संचालन एनडीडीबी के वरिष्ठ महाप्रबंधक डॉ. वी श्रीधर ने किया. इस दौरान सिद्धार्थ जैन, संयुक्त सचिव, सहकारिता मंत्रालय, भारत सरकार, दयानंद सावंत, उपायुक्त, पशुपालन और डेयरी विभाग, एफएएचडी मंत्रालय, रश्मि दराद, सीजीएम, नाबार्ड, पुणे, मनोज पुष्प सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार, मध्य प्रदेश, सी सरस्वती सीजीएम नाबार्ड ऑनलाइन भोपाल, संदीप धारकर जीएम नाबार्ड, गोवा महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश और गोवा राज्यों में डेयरी क्षेत्र से संबंधित दूध संघों और महासंघों और अन्य संगठनों के अधिकारियों सहित प्रमुख हितधारकों ने भाग लिया.
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