नई दिल्ली. “भारत में पशुधन क्षेत्र में कार्बन क्रेडिट क्षमता को खोलना” कार्यक्रम में एनडीडीबी, सस्टेन प्लस एनर्जी फाउंडेशन (एसपीईएफ) और ईकेआई एनर्जी सर्विसेज लिमिटेड – एनकिंग इंटरनेशनल (ईकेआईईएसएल) के बीच एक त्रिपक्षीय ओएमयू साइन किया गया. यह समझौता मौजूदा खाद प्रबंधन कार्यक्रम पर आधारित है, जिसके तहत एनडीडीबी, एसपीईएफ और ईकेआईईएसएल छोटे घरेलू बायोगैस इकाइयों से कार्बन क्रेडिट के सत्यापन, मान्यता, जारी करने और बिक्री जैसी गतिविधियों को जारी रखेंगे. यह कार्बन क्रेडिट परामर्श, वेस्ट मैनेजमेंट और विकेंद्रीकृत (Decentralized) नवीकरणीय ऊर्जा (डीआरई) प्रौद्योगिकियों की क्षेत्र में तैनाती में भविष्य की भागीदारी के लिए एक रूपरेखा भी स्थापित करता है. यह न केवल जलवायु-अनुकूल प्रयासों का समर्थन करता है, बल्कि टिकाऊ प्रथाओं को अधिक लाभदायक बनाकर ग्रामीण आय में सुधार करने में भी मदद करता है, जिससे किसानों को लंबे समय तक उनका उपयोग करते रहने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है.
समझौते पर औपचारिक रूप से एनडीडीबी के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक डॉ. मीनेश सी शाह, एसपीईएफ के निदेशक गणेश नीलम और ईकेआईईएसएल के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक श्री मनीष डबकारा ने हस्ताक्षर किए. इस कार्यक्रम में कार्बन मार्केट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (CMAI) और ग्लोबल डेयरी प्लेटफॉर्म (GDP) द्वारा “भारत में पशुधन क्षेत्र में कार्बन बाजार की संभावनाओं को खोलना” शीर्षक से एक रिपोर्ट भी लॉन्च की गई. रिपोर्ट में NDDB की जलवायु-स्मार्ट पहलों और NDDB-सस्टेन प्लस खाद प्रबंधन कार्यक्रम से संबंधित केस स्टडीज शामिल हैं, जो पशुधन-आधारित ग्रामीण अर्थव्यवस्थाओं में स्थिरता और कार्बन मुद्रीकरण के लिए व्यावहारिक मॉडल प्रदर्शित करती हैं.
डेयरीी सेक्टर में इंरटसेक्शन पर दिया जोर
एनडीडीबी के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक डॉ. मीनेश सी शाह ने कहा कि यह कार्यक्रम कार्बन मार्केट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीएमएआई) और ग्लोबल डेयरी प्लेटफॉर्म (जीडीपी) द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया गया था, जिसमें नीति निर्माताओं, उद्योग विशेषज्ञों, डेयरी सहकारी समितियों और चिकित्सकों सहित प्रमुख हितधारकों को एक साथ लाया गया था, ताकि स्थायी पशुधन प्रथाओं को बढ़ावा देने में जलवायु वित्त की भूमिका का पता लगाया जा सके. डॉ शाह ने जलवायु कार्रवाई के साथ भारत के डेयरी सेक्टर में इंटरसेक्शन पर जोर दिया, यह देखते हुए कि देश, दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक होने के नाते, वैश्विक दूध उत्पादन में लगभग 25 फीसदी का योगदान देता है, जिसमें बड़े पैमाने पर स्थिरता को बढ़ावा देने की अनूठी क्षमता है.
बायोगैस को सीएनजी में किया जा रहा रिफाइन
उन्होंने छोटे डेयरी किसानों के बड़े नेटवर्क द्वारा संचालित है उन्होंने दुग्ध संघों और सहकारी समितियों को सौर ऊर्जा से संचालित करने के प्रयासों और केंद्रीकृत तथा विकेंद्रीकृत खाद प्रबंधन की सफलता पर भी प्रकाश डाला. घरेलू स्तर के बायोगैस प्लांट गाय के गोबर को स्वच्छ खाना पकाने के ईंधन में परिवर्तित करते हैं, जबकि परिणामी घोल का उपयोग जैविक खाद के रूप में किया जाता है. वाराणसी में बायोगैस संयंत्र जैसे केंद्रीकृत मॉडल, दूध प्रसंस्करण सुविधाओं की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उत्पन्न बायोगैस का उपयोग करते हैं, जबकि बनास डेयरी मॉडल वाहन गतिशीलता के लिए गोबर आधारित बायोगैस को बायो-सीएनजी में रिफाइन करता है.
यहां फोकस करने की है जरूरत
डॉ. शाह ने भारत में कार्बन बा.9जार की संभावनाओं को अनलॉक करने के लिए सहयोगी प्रयासों की आवश्यकता पर जोर दिया, जिसमें विभिन्न प्रमुख फोकस क्षेत्रों पर प्रकाश डाला गया. – किसानों के लाभ को अधिकतम करने के लिए कार्बन क्रेडिट सत्यापन, सत्यापन और खाता सेटअप से संबंधित एकमुश्त लागत को कम करना, छोटे धारक प्रणालियों की चुनौतियों के अनुरूप डेयरी-विशिष्ट कार्यप्रणाली विकसित करना, टिकाऊ प्रौद्योगिकियों की अग्रिम लागत को कम करने के लिए अभिनव पूर्व-वित्तपोषण मॉडल की खोज करना, एक सुलभ और पारदर्शी कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म बनाना, – भारत सरकार द्वारा तैयार किए जा रहे अनुच्छेद 6 तंत्रों के तहत डेयरी-प्रासंगिक हस्तक्षेपों को आगे बढ़ाने की बात कही.
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