नई दिल्ली. हिमाचल प्रदेश में अब दूध की कमी नहीं होगी. यहां रोजगार के भी नए असवर बनेंगे और यहां किसान आत्मनिर्भर होंगे. दरअसल, मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने ऐलान किया है कि यहां राज्य सरकार अत्याधुनिक आटोमेटिक मिल्क प्रोसेसिंग प्लांट की स्थापना के लिए कार्य कर रही है. इसके लिए राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) कंसल्टेंसी देगा. इस कार्य को करने के लिए एक एमओयू पर साइन किया जा चुका है. मिल्क यूनिट 1.50 लाख लीटर प्रति दिन (एलएलडीपी) की प्रारंभिक क्षमता और 3 एलएलपीडी तक विस्तार योग्य धगवार प्लांट पूरी तरह से आटोमेटिक सुविधा से लैस होगा. इस महत्वाकांक्षी परियोजना के लिए 225 करोड़ रुपये खर्च होंगे. प्लांट में दही, लस्सी, मक्खन, घी, पनीर, सुगंधित दूध, खोया और मोत्ज़ारेला पनीर सहित विभिन्न प्रकार के डेयरी उत्पादों का उत्पादन होगा.
नेटवर्क को मजबूत करने के लिए 43 करोड़ रुपये
सीएम सुक्खू ने कहा कि जैसे-जैसे परियोजना शुरू होगी, यह डेयरी कृषक समुदायों में समृद्धि लाएगी और राज्य के समग्र विकास में महत्वपूर्ण योगदान देगी. यह प्लांट चंबा, हमीरपुर, कांगड़ा और ऊना जिलों में किसानों से सीधे दूध खरीदकर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा. उन्होंने यह सुनिश्चित करने के लिए दूध खरीद में पारदर्शिता के महत्व पर जोर दिया कि किसानों को उनकी मेहनत का अच्छा मूल्य मिले. उन्होंने कहा कि रुपये का अतिरिक्त निवेश प्लांट संयंत्र के संचालन को बनाए रखने के लिए 2.74 एलएलपीडी खरीदने के लक्ष्य के साथ दूध खरीद नेटवर्क को मजबूत करने के लिए 43 करोड़ रुपये रखे गए थे.
दूध की खरीद दर में किया इजाफा
किसान कल्याण के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता के अनुरूप इस पहल में दूसरे चरण की योजना भी शामिल है, जिसमें धगवार संयंत्र में दूध पाउडर, आइसक्रीम और विभिन्न प्रकार के पनीर का उत्पादन होगा. सीएम सुक्खू ने आगे कहा कि सरकार राज्य के डेयरी कृषक समुदाय के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है और हाल ही में रुपये की वृद्धि की घोषणा की है. दूध की खरीद दर 6 रुपये प्रति लीटर से बढ़ाकर 32 से 38 रुपये कर दी गई है.
राज्य को आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण कदम
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार किसानों की आय बढ़ाने के लिए गंभीरता से प्रयास कर रही है और आने वाले समय में नई योजनाएं लाई जाएंगी. मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश को एक आत्मनिर्भर राज्य बनाने के लिए ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करना जरूरी है, उन्होंने कहा कि राज्य की लगभग 95 प्रतिशत आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है और इसलिए इस लक्ष्य को हासिल किए बिना, हिमाचल को सबसे प्रगतिशील राज्य बनाने का सपना पूरा हो गया है.
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