नई दिल्ली. देशभर में लंबे समय से अन्न भंडार के रूप में जाना जाने वाला पंजाब अब दूध उत्पादन करने में भी रिकॉर्ड बनाने जा रहा है. इस सेक्टर में पंजाब के किसानों ने लोगों को आकर्षित करने वाला काम किया है. अब गेहूं के खेतों की बजाय दूध देने वाले पार्लरों और चारागाहों में किसानों की दिलचस्पी देखी जा रही है. कहा जा रहा है कि वैज्ञानिक संस्थानों के समर्थन और प्रगतिशील डेयरी किसान संघ (पीडीएफए) की कोशिशों के चलते ये सफलता मिल पाई है. ये बदलाव तब आया जब खासतौर पर युवा और अधिक शिक्षित लोगों को पारंपरिक गेहूं-चावल फसल प्रणालियों में आर्थिक नुकसान सहना पड़ा.
वहीं दूसरी ओर घटती जमीन, घटते मुनाफे और बढ़ते पर्यावरणीय क्षरण ने अन्य रास्तों की तलाश को मजबूर किया. जिसके बाद डेयरी फार्मिंग एक समाधान और अवसर दोनों के रूप में उभरी है. यही वजह है कि दस साल के अंदर ही पंजाब में व्यावसायिक डेयरी फार्मों की संख्या में भारी वृद्धि देखी गई है. लगभग 600 से बढ़कर आज लगभग 8,000 तक इसकी संख्या पहुंच गई है. कुल मिलाकर, ये फार्म अब प्रतिदिन लगभग 12 से 15 लाख लीटर दूध का उत्पादन करते हैं, जो एक चौंका देने वाला आंकड़ा है जिसने पूरे भारत में इस सेक्टर की तरफ लोगों का ध्यान खींचा है.
कितने किसान इस सेक्टर है जुड़े हैं
गुरु काशी विश्वविद्यालय, तलवंडी साबो, भटिंडा के कुलपति, डॉ. रामेश्वर सिंह का कहना है कि इन बड़े पैमाने के कार्यों के अलावा, राज्य में 3.5 लाख से ज्यादा डेयरी किसान भी हैं, जिनमें से कई सहकारी नेटवर्क और स्थानीय दूध आपूर्ति में योगदान करते हैं. उन्होंने कहा कि इस परिवर्तन के केंद्र में PDFA है, जिसकी स्थापना 1972 में हुई थी और जो अब भारत में आधुनिक डेयरी विकास के लिए एक प्रमुख संस्थान है.
कैसे बढ़ावा मिला
उन्होंने बताया कि इन आंकड़ों के पीछे एक सांस्कृतिक बदलाव भी छिपा है. पंजाब में डेयरी फार्मिंग अब एक व्यवसायिक गतिविधि नहीं रह गई है. यह अब एक संगठित, पूंजी-अंतर-आधारित व्यवसाय है, जो एनआरआई, कृषि-स्टार्टअप और युवा उद्यमियों को आकर्षित कर रहा है. डेयरी के तहत सरकारी योजनाओं से सहायता उद्यमिता विकास योजना (डीईडीएस), राष्ट्रीय गोकुल मिशन और पंजाब डेयरी विकास बोर्ड ने बुनियादी ढाँचे और नवाचार को और बढ़ावा दिया है.
कैसे बना रहा है एक टिकाऊ भविष्य
पंजाब आज जो देख रहा है, वह सिर्फ एक श्वेत क्रांति नहीं है, बल्कि ग्रामीण आजीविका की एक शांत पुनर्कल्पना है. जहां विज्ञान, तकनीक और उद्यम मिलकर एक अधिक टिकाऊ और समृद्ध भविष्य का निर्माण कर रहे हैं. एक मजबूत संस्थागत ढांचे और तकनीक-प्रेमी डेयरी उद्यमियों की बढ़ती संख्या के साथ, राज्य न केवल अपनी शक्तियों का दोहन कर रहा है, बल्कि उन्हें फिर से परिभाषित भी कर रहा है.
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