नई दिल्ली. बिहार सरकार लगातार दूध उत्पादन को बढ़ावा देने का काम कर रही है. सरकार ने दूध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं भी शुरू की हैं. जिसका फायदा बिहार के पशुपालकों को मिला है और योजना के जरिए दूध उत्पादन में भी इजाफा हो गया है. पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग की मानें तो प्रतिदिन बिहार में दूध प्रसंस्करण क्षेत्र में तेजी से विस्तार हुआ है. राज्य में अब कुल 4855 हजार लीटर दूध प्रोसेसिंग क्षमता हो गयी है. जिससे पशुपालकों की इनकम भी बढ़ गई है.
कोशी और सीमांचल में भी दूध उत्पादन की दृष्टि से उभरते क्षेत्रों को भी संगठित डेयरी व्यवस्था से जोड़ने की कवायद की जा रही है. केंद्रीय पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन राज्य मंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल ने लोकसभा में एक सवाल के जवाब में इस बात की जानकारी दी है.
कहां हो रहा 50 हजार लीटर दूध उत्पादन
मंत्री एसपी सिंह बघेल ने बताया है कि मधेपुरा में 0.50 लाख लीटर प्रतिदिन क्षमता का नया चिलिंग प्लांट, खगड़िया में प्रोसेसिंग क्षमता को एक से बढ़ाकर दो एलएलपीडी कर दी गयी है.
पटना मुजफ्फरपुर, बरौनी, गया, आरा, समस्तीपुर, भागलपुर, पूर्णिया, कैमूर, गोपालगंज, दरभंगा, बिहारशरीफ, हाजीपुर, जमुई, डेहरी ऑनसोन, खगड़िया, मोतिहारी, किशनगंज, सुपौल और सीतामढ़ी को मिलाकर प्रतिदिन 4855 हजार लीटर दूध की प्रोसेसिंग हो रही है.
इस बारे में दी जानकारी
उन्होंने बताया है कि बिहार के मुख्यमंत्री की प्रगति यात्रा के दौरान मधेपुरा के लिए 0.50 लाख लीटर प्रतिदिन क्षमता का दूध शीतलन संयत्र स्वीकृत हुआ है.
खगड़िया जिले के लिए डॉ राजेन्द्र प्रसाद दुग्ध संघ बरौनी की प्रोसेसिंग क्षमता एक एलएलपीडी से बढ़ाकर दो एलएलपीडी करने की स्वीकृति दी गयी है.
पूर्णिया जिला, पटना स्थित कॉम्फेड की कोशी डेयरी परियोजना (केडीपी) में 0.74 एलएलपीडी दूध संग्रहण और 2.00 एलएलपीडी की स्थापित प्रोसेसिंग क्षमता है.
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