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Dairy: जानें कुछ ही वर्षों में पंजाब में कैसे बढ़ गया 5 लाख टन दूध उत्पादन

मिशन का उद्देश्य किसानों की इनकम दोगुनी करना, कृषि को जलवायु के अनुकूल बनाना, धारणीय और जैविक कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देना है.
प्रतीकात्मक तस्वीर।

नई दिल्ली. पंजाब में 2017 से लेकर 2024 के मिल्क प्रोडक्शन के आंकड़े इस ओर इशारा करते हैं कि इस राज्य में डेयरी सेक्टर में बहुत संभावना है. केंद्रीय पशुपालन और डेयरी मंत्रालय की ओर से जारी किए गए आंकड़े कहते हैं कि इसमें तकरीबन 5 लाख टन दूध उत्पादन की बढ़ोत्तरी हुई है. दरअसल, पंजाब में साल 2017 में तकरीबन 11 लाख टन दूध का उत्पादन हुआ था जो अब 15 लाख टन के पास पहुंच गया है. गुरु काशी विश्वविद्यालय, तलवंडी साबो, भटिंडा के कुलपति, डॉ. रामेश्वर सिंह का कहना है कि पंजाब कृषि विश्वविद्यालय और वैश्विक पशुधन आनुवंशिकी कंपनियों के सहयोग से, पीडीएफए ने डेयरी पशुओं की गुणवत्ता में ये बेहतरीन सुधार किया है.

किसान अब संकर नस्ल के मवेशियों, विशेष रूप से अत्यधिक उत्पादक “पंजाब होल्स्टीन” के प्रजनन के लिए उच्च नस्ल विविधता वाले पशुओं के सीमन से पशुओं को गर्भित करवा रहे हैं. इसका इस्तेमाल नियमित रूप से कर रहे हैं. यही वजह है कि पंजाब की परिस्थितियों के लिए विशेष रूप से पाली गई ये गायें प्रति ब्यात 11 हजार लीटर तक दूध देने की क्षमता रखती हैं, जो राष्ट्रीय औसत लगभग 1,700 लीटर से लगभग सात गुना अधिक है, लेकिन यह क्रांति केवल आनुवंशिक नहीं है.

फसलों को क्यों हो रहा है नुकसान
डॉ. रामेश्वर सिंह का कहना है कि पंजाब का डेयरी विकास तकनीक और आंकड़ों से प्रेरित है. कृत्रिम गर्भाधान को अब लिंग-सॉर्टेड सीमेन के साथ जोड़ा जा रहा है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि 90 फीसद से अधिक बछड़े मादा हों, जिससे उत्पादक झुंडों की वृद्धि में तेजी आई है. हर दिन दूध उत्पादन रिकॉर्ड करने के लिए प्रमाणित सॉफ्टवेयर ने डेटा एनालिटिक्स को खलिहान में ला दिया है, जिससे किसान वैज्ञानिक सटीकता के साथ प्रजनन और वध संबंधी निर्णय ले सकते हैं. इस बीच, आधुनिक आहार प्रणालियां जैसे टोटल मिक्स्ड राशन (टीएमआर) और कामर्शियल साइलेज ने पारंपरिक चारा व्यवस्था की जगह ले ली है. राज्य भर में संचालित साइलेज संयंत्र साल भर उच्च गुणवत्ता वाला पोषण प्रदान करते हैं और यहां तक कि मक्के के लिए एक समानांतर बाजार भी बना दिया है, जिससे फसल किसानों को भी नुकसान हो रहा है.

जानें कैसे बढ़ रही है किसानों की आय
कृत्रिम गर्भाधान के माध्यम से प्रजनन चक्रों को अनुकूलित किया गया है, और अब बढ़ती संख्या में फार्म अपने खुद के ब्रांडों के तहत दूध का प्रोसेसिंग पनीर, घी और बोतलबंद दूध तैयार कर रहे हैं. इससे न केवल किसानों की आय बढ़ती है, बल्कि आपूर्ति श्रृंखला में मूल्यवर्धन होता है, जिससे उपभोक्ताओं के लिए बेहतर गुणवत्ता सुनिश्चित होती है. इनमें से कई इनावेशन पीडीएफए के अंतर्राष्ट्रीय डेयरी प्रदर्शनियों में प्रदर्शित किए जाते हैं, जो हर साल हजारों किसानों, शोधकर्ताओं और कृषि उद्यमियों को आकर्षित करते हैं.

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