नई दिल्ली. राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान करनाल हरियाणा द्वारा खुंटकट्टी मैदान चाईबासा पश्चिम सिंघभूम झारखंड में 9-11मार्च-2024 तक आयोजित तीन दिवसीय डेरी मेला एवं कृषि प्रदर्शनी का शुभारंभ हुआ.इस मौके पर मुख्य अतिथि केन्द्रीय कृषि वं किसान कल्याण मंत्री अर्जुन मुंडा ने करनाल स्थित डेरी अनुसंधान संस्थान के विकास एवं विस्तार कार्यों को बेहतरीन बताते हुए झारखंड क्षेत्र में दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के लिए उन्नत नस्ल के विकास पर जोर दिया.केन्द्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि एनडीआरआई जैसे अनुसंधान-विकास कार्यों की वजह से ही आज हमारा देश दुग्ध उत्पादन में प्रथम स्थान पर है. लेकिन झारखंड जैसे राज्यों में पशुपालन एवं डेयरी क्षेत्र में अभी बहुत कुछ करने की संभावनाएं हैं.
केन्द्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने किसानों से आव्हान किया कि एनडीआरआई के साथ जुड़कर डेरी क्षेत्र की नवीनतम तकनीकियों को अपनाएं, जिससे कि रोजगार के अवसर मिलें.उन्होंने युवा किसानों से अपील की कि डेरी उद्यमिता को अपनाएं तथा अपने साथ-साथ अन्य किसानों को भी रोजगार देने वाले बनें.अनुसूचित जनजाति के उत्थान के लिए इस क्षेत्र में चल रही योजनाओं की जानकारी दी और उनका लाभ उठाने की अपील की.
पशुपालन अर्थव्यवस्था में पांच फीसदी का करता है योगदान
अर्जुन मुडा ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दृष्टिकोण के अनुरूप 2047 तक ‘विकसित भारत’ के लिए भारत सरकार की प्राथमिकता है कि कृषि एवं पशुपालन प्रौद्योगिकियां देश के प्रत्येक किसान के दरवाजे तक पहुंचनी चाहिए.ये प्रौद्योगिकियां किसानों को न केवल आय में मदद करती हैं बल्कि प्राकृतिक संसाधनों के कुशल उपयोग से उनकी खेती में स्थिरता भी करती हैं. पशुपालन एवं डेरी हमारे देश का मत्वपूर्ण कृषि व्यवसाय है जो राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में 5 प्रतिशत का योगदान करता है. आठ करोड़ से अधिक किसानों को सीधे रोजगार देता है. भारत दूध उत्पादन में पहले स्थान पर है, जो वैश्विक दूध उत्पादन का 24.64 प्रतिशत योगदान देता है.
किसान से लेकर वैज्ञानिकों तक ने लिया भाग
राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान करनाल के निदेशक डॉक्टर धीर सिंह ने बताया कि पशुधन उत्पादन प्रबंधन एवं डेरी प्रसंस्करण के क्षेत्र में नवोन्मेषी कृषि प्रौद्योगिकी विस्तार द्वारा नए आयाम स्थापित करेगा. इस मेले के उदघाटन समारोह में करीब दो हजार से ज्यादा पशु पालक, किसान, इनपुट डीलर्स, उद्यमी, विद्यार्थी, सरकारी एवं गैर-सरकारी विभागों के अधिकारी-कर्मचारी भाग लिया, जिसमें देश के विभिन्न अनुसंधान संस्थानों, जिला स्तरीय विभागों- जिला उद्यान विभाग,पशुपालन एवं पशु चिकित्सा विभाग, कृषि विभाग, नाबार्ड बैंक, जिला रेशम पालन विभाग, जिला सिंचाई विभाग, महिला-बाल विकास विभाग आदि द्वारा विकसित प्रौद्योगिकियों का हितधारकों हेतु प्रदर्शन किया जाएगा.
उन्नत नस्ल के पशुओं की आयोजित होगी प्रतियोगिता
मेले में 50 से अधिक कृषि प्रौद्योगिकी, गाय, बकरी एवं अन्य पशुओं की प्रदर्शनी स्टाल लगाई जा रही हैं. जनजातीय क्षेत्र में पशुधन एवं कृषि के विकास के लिए उन्नत नस्ल के पशुओं की सौन्दर्य प्रतियोगिता के साथ-साथ पशु स्वास्थ्य चिकित्सा शिविर का आयोजन भी किया जा रहा है. मेला के दौरान किसानों को कृषि एवं पशुपालन प्रौद्योगिकी के नवीनतम पहलुओं से अवगत कराने हेतु कृषक-वैज्ञानिक संवाद एवं किसान गोष्ठी का आयोजन होगा जिसमें खेती एवं पशुपालन से सम्बंधित प्रश्नों के त्वरित समाधान प्रस्तुत किये जाएंगे.
किसानों को किया सम्मानित
मेले में पश्चिम सिंघभूम जनपद के विभिन्न ब्लॉक एवं ग्रामों से आए हुए किसानों द्वारा अभिप्रेरित अनुसंधान को बढ़ावा देने के साथ-साथ सब्जी उत्पादन, फसल उत्पादन,डेरी उत्पादन प्रबंधन, प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्धन के क्षेत्र में कीर्तिमान स्थापित कर रहे किसानों के मनोबल को बढ़ाने के लिए पुरस्कृत किया. अनुसूचित जन जाति उपयोजना के तहत कृषकों को कृषि ज्ञान के प्रोत्साहन हेतु सामग्री प्रौद्योगिकी भी उपलब्ध कराई गई.
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