Home डेयरी Dairy Animal: देसी तरीके से भी कर सकते हैं थनैला बीमारी का इलाज, यहां पढ़ें इसका तरीका
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Dairy Animal: देसी तरीके से भी कर सकते हैं थनैला बीमारी का इलाज, यहां पढ़ें इसका तरीका

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प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. थनैला बीमारी दुधारू पशुओं के थनों में होने वाली एक संक्रामक बीमारी है. यह बैक्टीरिया, वायरस, फंगस, यीस्ट और माइक्रो प्लाज्मा जैसे जीवाणुओं के संक्रमण से होती है. इस बीमारी में सभी तरह के दुधारू पशु प्रभावित होते हैं. बीमारी में पशुओं के थन से खून तक निकलने लगता है और वक्त पर इलाज न हो तो पशुओं की मौत भी हो सकती है. इसलिए थनैला बीमारी का समय से इलाज करना बेहद ही जरूरी है, नहीं तो डेयरी फार्मिंग में नुकसान उठाना पड़ सकता है. एक तो दूध उत्पादन नहीं मिलेगा और वहीं पशु की मौत हो गई तो फिर हजारों का नुकसान अलग से होगा.

एनिमल एक्सपर्ट कहते हैं कि थनों में सूजन आना, थनों में गांठे बनना, थन से पानी जैसा दूध आना, दूध में खून या पस निकलना, दूध का नमकीन या बेस्वाद होना और दूध का रास्ता कम होना थनैला बीमारी के लक्षण हैं. ऐसा होते ही तुरंत पशु चिकित्सक से सलाह लेना चाहिए और पशु का इलाज कराना चाहिए. आपको बता दें कि थनैला बीमारी का इलाज देसी नुस्खों से भी किया जाता है. इस आर्टिकल हम आपको ये भी बताएंगे.

इन बातों का जरूर रखें ख्याल
एनिमल एक्सपर्ट का कहना है कि पशुपालकों को चाहिए कि वह अपने पशुओं को इस बीमारी से बचाएं. बीमारी लगने से पहले ही तमाम जरूरी एतियाती कदम उठाएं. जिससे पशु को बीमारी न हो. इसके लिए सबसे जरूरी काम है, साफ सफाई का ध्यान रखना. जब भी दूध निकालें उसके बाद थनों को अच्छी तरह से धोना चाहिए. इसे सूखने देना चाहिए. इससे थनैला रोग होने का चांस बहुत कम हो जाता है. वहीं थनैला बीमारी होने पर एंटीबायोटिक जैसी दवाओं का इस्तेमाल करके इलाज किया जा सकता है. एनिमल एक्सपर्ट कहते हैं कि दूध दुहने से पहले बाद में थनों को एंटी बैक्टीरियल घोल से भी साफ किया जाता है. दूध हमेशा सही तरीके से निकलना चाहिए. अगर किसी तरह का जख्म हो तो तुरंत इलाज करना चाहिए.

इस तरह करें घर पर इलाज
बात की जाए घरेलू नुस्खों से इलाज करने की तो थनैला होने पर हल्दी और सेंधा नमक बेहद ही कारगर साबित हो सकते हैं. इन दोनों चीजों को थोड़ी मात्रा में ले लें और इसके अंदर देसी घी मिला दें. इससे एक तरह का पेस्ट तैयार हो जाएगा. इस पेस्ट को थनैला बीमारी से ग्रसित पशुओं के थनों में अच्छी तरह से लगाएं. खासतौर पर दूध निकालने से पहले और दूध निकालने के बाद जरूर लगाएं. पशुओं के थन पर मसाज भी करते रहें. कुछ ही दिनों में ऐसा करने से पशुओं को राहत मिलेगी. इस बात को भी याद रखें कि ​थनैला बीमारी खतरनाक बीमारी मानी जाती है, इस वजह से पशु चिकित्कस की भी सलाह जरूर ले लें.

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