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Dairy Animal: पशुओं को पुआल खिलाने से पहले कर लें ये काम तो उन्हें मिलेगी ज्यादा एनर्जी, पढ़ें इसका तरीका

buffalo calving
प्रतीकात्मक तस्वीर

नई दिल्ली. अक्सर पशुपालक अपने पशुओं को सूखे चारे के तौर पर पुआल​ खिलाते हैं. एक्सपर्ट का कहना है कि पुआल खिलाने से पहले बहुत ही कम खर्चों में इसका उपचार करना जरूरी है. इसका एक तरीका है कि सूखे चारे का यूरिया और शीरा से उपचार किया जाए. किसान यूरिया का इस्तेमाल अपने खेतों में खाद के रूप में करते हैं. यह गाय व भैंसों आदि जुगाली करने वाले पशुओं की प्रोटीन की आवश्यकता को कुछ हद तक पूरा कर सकता है. वहीं देश के बड़े क्षेत्रों में गन्ने की खेती की जाती है और चीनी बनाने के समय एक उप-उत्पाद के रूप में शीरा काफी मात्रा में मिलता है. यदि इस शीरा को पशु आहार में प्रयोग किया जाये तो उससे ज्यादा एनर्जी उपलब्ध हो सकती है. आहार का स्वाद भी अच्छा हो जाता है और पशु इसे चाव से खाते हैं.

यूरिया-शीरा के प्रयोग से 100 किलो उपचारित राशन बनाने के लिए 90 किलो तूड़ी, 10 किलो शीरा, 1 किलो यूरिया, आधा किलो खनिज मिश्रण, आधा किलो सादा नमक और 100 ग्राम विटामिन मिश्रण की जरूरत पड़ती है. सबसे पहले एक बाल्टी में 10 लीटर पानी लेकर उसमें एक किलो यूरिया को अच्छी तरह से घोल लें. अब इस घोल को 10 किलो शीरा में मिलरकर अच्छी तरह से घोले और इसी घोल में आधा किलो नमक, आधा किलो खनिज लवण मिश्रण तथा करीब 100 ग्राम विटानिन ए को भी मिला दें. अब इस घोल को हजारे (फहारे) से 90 किलो तूड़ी को फर्श पर फैलाकर उस पर अच्छी तरह से छिड़काव करें. ध्यान रहे कि शीरा का मिश्रण तूड़ी के हर भाग में अच्छी तरह से मिल जाये.

इस बात का रखें खास ख्याल
यूरिया कभी भी पशुओं को अकेला न खिलायें. हमेशा यूरिया को शीरे के साथ ऊपर बताये गये अनुपात (मात्रा) में अच्छी तरह घोल बनाकर सूखे चारे के साथ मिलाकर ही खिलायें. कभी-कभी सर्दी के दिनों में शीरा गाढ़ा हो जाता है. इसलिए घोल बनाते समय इसे योड़ा गर्म कर लें. इस तरह उपचारित सूखा चारा पशुओं को सुबह-शाम खिलाने से पशु के पेट में यूरिया की निर्धारित मात्रा धीरे-धीरे नियमित रूप से पहुंचती है, जिससे किसी प्रकार के नुकसान की सम्भावना नहीं रहती. ये थोड़ा दूध देने वाले पशुओं को भी दे सकते हैं. सूखे चारे को उपचारित करते ही पशुओं को तुरंत खिलाया जा सकता है लेकिन पशुओं को पहले थोड़ा-थोड़ा खिलाकर उनकी आदत बनानी चाहिए. प्रतिदिन थोड़ी-थोड़ी मात्रा बढ़ाते रहें.

रोज पशुओं को खिलाया जा सकता है
इस तरह से करीब 15 दिन बाद पशुओं को इसे खाने की आदत पूरी तरह से लग जायेगी और उनके पाचन पर भी बुरा प्रभाव नहीं पड़ेगा. अब पशुओं को सुबह-शाम इस उपचारित चारे को भरपेट खिलाया जा सकता है. यूरिया-शीरा का घोल अधिक मात्रा में भी रखा जा सकता है. वहीं जरूरत पड़ने पर सूखे चारे में मिलाकर रोजाना पशुओं को पेटभर खिलाया जा सकता है. ताजा पीने का पानी हर समय पशुओं को उपलब्ध होना जरूरी है. खनिज मिश्रण बाजार में कई नामों से मिलता है, जैसे सुपरमिन्डीफ, मिल्कमीन, मिनमिक्स आदि. विटामिन ए बेअसोल के नाम से उपलब्ध है लेकिन शीरा कभी-कभी मिलने में दिक्कत होती है. उस परिस्थिति में तूड़ी, पराली, कड़वी आदि को केवल यूरिया द्वारा उपचारित करके पशुओं को खिलाया जा सकता है.

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