Home मछली पालन Fisheries: मछली प्रोडक्शन बढ़ाने के लिए जरूर करें ये काम, फिश फार्मिंग में बढ़ जाएगा मुनाफा
मछली पालन

Fisheries: मछली प्रोडक्शन बढ़ाने के लिए जरूर करें ये काम, फिश फार्मिंग में बढ़ जाएगा मुनाफा

fish farming in pond
प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. मछली पालन वैसे तो एक बेहतरीन व्यवसाय है और इससे अच्छी कमाई भी होती है लेकिन ये तभी संभव होगा जब मछली का प्रोडक्शन अच्छा होगा. इसलिए मछली के प्रोडक्शन को बेहतर करने के लिए कुछ उपाय जरूर करना चाहिए. एक्सपर्ट का कहना है कि कई बार मछली का प्रोडक्शन कुछ वजहों से घट जाता है. इसको देखते हुए तालाब में चूने का इस्तेमाल होता है और गोबर की खाद डाली जाती है. रसायनिक खाद का भी इस्तेमाल होता है और आर्टिफिशियल फीडिंग भी कराई जाती है. जिसका बेहतर रिजल्ट निकलता है.

एक्सपर्ट कहते हैं कि पानी का हल्का सा क्षारीय होना मछली पालन के लिये अच्छा होता है. पानी अम्लीय या ज्यादा क्षारीय नहीं होना चाहिए. चूना, पानी की क्षारीयता बढ़ा देता है और पानी अम्लीयता व क्षारीयता को एक बफर के रूप में काम करके संतुलित कर देता है. इसके अलावा चूना मछलियों को विभिन्न परजीवियों के प्रभाव से मुक्त रखता है और तालाब का पानी उपयुक्त बनाता है. एक तालाब में 250 किलोग्राम प्रति हेक्टर के मुताबिक चूने का इस्तेमाल मत्स्य बीज डालने से एक माह पूर्व किया जा सकता है.

गोबर की खाद का इस्तेमाल
तालाब की तैयारी में गोबर की खाद की महत्वपूर्ण भूमिका है. इससे मछली को प्राकृतिक भोजन मिलता है. गोबर की खाद, मत्स्य बीज डालने से 15-20 दिनों पहले 10-20 टन प्रति हेक्टर प्रत्येक वर्ष 10 समान मासिक किस्तो में इस्तेमाल की जानी चाहिए. रासायनिक खादों के मिश्रण का प्रयोग गोबर की खाद डालने के 15 दिनों बाद तालाब में करना चाहिए. यदि तालाब के पानी का रंग गहरा हरा या गहरा नीला हो जाये, तो उर्वरकों का प्रयोग तब तक बन्द कर देना चाहिए, जब तक पानी का रंग सही अवस्था में न आ जाये.

कृत्रिम भोजन कब देना होता है
मछली के ज्यादा उत्पादन के लिये प्राकृतिक भोजन के अलावा आर्टिफिशियल फीडिंग की भी जरूरत होती है. इसके लिये सरसों की खली और चावल का बराबर मात्रा में उपयोग किया जा सकता है. तालाब में अगर छह चुनी हुई मछलियों के संचयन से उत्पादन अधिक होता है. इन मछलियों की अंगुलिकायें 10000 प्रति हैक्टर डालनी चाहिए. छोटे तालाब (10-25 डिसमिल) और जिनमें पानी भी अधिक दिनों तक नहीं रहता है. उनमें बड़ी मछली का उत्पादन संभव नहीं. इनमें जीरा (मत्स्य बीज) उत्पादन कार्यक्रम किया जाये, तो अच्छी आमदनी हासिल होगी. एक किसान 25 डिसमिल के तालाब से एक बार यानी 15-20 दिनों में पांच हजार रुपये तथा एक वर्ष में 3-4 मत्स्य फसल कर 15,000-20,000 तक कमा सकता है.

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

livestock animal news
मछली पालन

Fisheries: यहां पढ़ें मछली के साथ बत्तख पालने का क्या है फायदा और कैसे करें इसकी शुरुआत

बतखों को पोखर के रूप में साफ-सुथरा एवं स्वस्थ परिवेश और उत्तम...

fish market
मछली पालन

Fish Farming: मछली पालन में एंटीबायोक्टिक्स का क्या है फायदा और नुकसान, जानें यहां

सीवेज, कृषि और इंडस्ट्रीयल वेस्ट से प्रदूषित साफ पानी सहित समुद्री और...

cage culture fish farming
मछली पालन

Fish Farming: इन नई तकनीक के जरिए भी कर सकते हैं मछली पालन, यहां पढ़ें डिटेल

इसी तरह बढ़ते जलसंकट को दृष्टिगत कर आरएएस सिस्टम को बढ़ावा दिया...