नई दिल्ली. जरा सोचिए जो खारा पानी न तो पीने योग्य होता है और ना ही फसल उगाने योग्य, अगर उसी खारे पानी से सालाना लाखों रुपयों की इनकम होने लगे तो यह कितना बेहतर होगा. हालांकि ये हैरत में डालने वाली बात भी है लेकिन ये सच है और खारे पानी में झींगा उत्पादन करके किसान लाखों रुपए कमा रहे हैं. जिस जमीन से एक रुपये का भी फायदा नहीं हो रहा था, उसी जमीन से किसान लाखों कमा रहे हैं. दरअसल, झींगा की फसल हर 3 महीने में तैयार हो जाती है और झींगा की फसल एक एकड़ एरिया में चार लाख रुपए तक की इनकम करा सकती है.
फसल का नहीं हो रहा था उत्पादन
गौरतलब है कि उत्तर भारत में खारे पानी के चलते लाखों एकड़ जमीन खाली हो गई है लेकिन झींगा पालन के लिए ऐसी जमीन की जरूरत ही होती है. क्योंकि जो मुनाफा झींगा से होता है, उतना मुनाफा एक एकड़ में केला, गन्ना और गेहूं की फसल भी नहीं दे सकती है. पंजाब फिशरीज डिपार्टमेंट के असिस्टेंट डायरेक्टर कर्मजीत सिंह का कहते हैं कि पंजाब के 6 जिलों में एक वक्त में वहां के किसान अपनी जमीन की तरफ देखना भी पसंद नहीं करते थे. अच्छी खेती की जमीन खराब हो गई थी. खास तौर पर मुक्तसर साहिब, फिरोजपुर, फजलिका, फरीदपुर, भटिंडा और मानसा में खारे पानी की वजह से फसल का उत्पादन नहीं हो पा रहा था.
चार टन झींगा मछली का हुआ प्रोडक्शन
उन्होंने कहा कि डिपार्टमेंट ने उसे जमीन की जांच की तो किसानों की किस्मत बदल गई. रिपोर्ट में सामने आया कि जमीन का पानी झींगा मछली पालन के लिए बहुत ही फायदेमंद है. इसी तरह के पानी में झींगा उत्पादन तेजी के साथ होता है. उन्होंने बताया कि मुक्तसर साहिब जिले के रतनखेड़ा गांव में साल 2016-17 में झींगा मछली पालन को लेकर लखविंदर नाम के किसान के खेत में ट्रायल किया गया था. एक एकड़ जमीन पर झींगा मछली पाली गई. 4 महीने में जब झींगा तैयार हुई तो उसका वजन 4 टन यानी 40 क्विंटल की करीब था. उस वक्त बाजार में झींगा का रेट 320 रुपये किलो था. जबकि आज झींगा का रेट 360 रुपये है. इस खारे पानी से लाखों रुपए का मुनाफा हुआ और उस जमीन से हुआ जिसपर खेती से एक पौधा भी नहीं उगाया जा सकता था.
70 से 80 में तैयार हो जाती है झींगा मछली
मछलियों के डॉक्टर मनोज शर्मा कहते हैं कि गुजरात के पोस्ट एरिया में समुद्री पानी के कारण और मैदानी एरिया में ग्राउंड वाटर के कारण खेती की जमीन खाली हो चुकी है. यह खारा पानी झींगा मछली के लिए एक वरदान साबित हुआ है. गुजरात में 4 हजार एकड़ से ज्यादा खारे पानी वाली जमीन पर इस वक्त झींगा उत्पादन किया जा रहा है. वहीं झींगा हैचरी संगठन के अध्यक्ष आंध्र प्रदेश निवासी रवि कुमार येलांकी कहते हैं कि हर साइज के झींगा की डिमांड है लेकिन खास तौर पर 14 से 15 ग्राम वजन का झींगा सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है. एक्सपोर्ट में भी कई कंट्रीज ऐसे छोटे साइज के की डिमांड करती हैं. 70 से 80 दिन में तैयार हो जाता है. अगर किसी भी तरह की कोई कमी भी रह जाती है तो 90 दिन में यह तैयार हो जाता है.
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