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Animal Husbandry: नीलगाय को खेत से दूर करने का ये है देसी जुगाड़, खर्चा आएगा मात्र 50 रुपये

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प्रतीकात्मक फोटो.

नई दिल्ली. कितना अच्छा हो कि अगर 50 से 100 रुपये खर्च करके फसलों को जंगली जानवरों नीलगाय और छुट्टा पशुओं से बचाया जा सके. जी हां ऐसा संभव है, कि आप देसी जुगाड़ लगाकर नील गायों को आसानी से अपने खेतों से भगा सकते हैं. इससे आपकी फसल बर्बाद नहीं होगी और नुकसान भी नहीं उठाना पड़ेगा. दरअसल, ज्यादातर किसान नील गायों के आतंक की वजह से अपनी फसलों को बचाने के लिए खेत में रहने को भी विवश होते हैं कई जगह पर तो पूरी-पूरी रात किसान खेत में ही गुजार देते हैं.

फिर भी नीलगाय और छुट्टा पशु उनके खेत में फसलों को रौंद देते हैं. जिससे किसानों को ज्यादा मेहनत भी करनी पड़ती है और फिर भी पूरी तरह से फसलों को नहीं बचा पाते हैं. बहुत से किसान तारबंदी भी करते हैं. जिसमें हजारों रुपये का खर्च होता है. यहां हम आपके लिए कुछ देसी जुगाड़ लेकर आए हैं, इससे आप फसलों को जंगली जानवरों से बचा सकते हैं.

डंडे खेत में गाड़कर ये लगाएं: इस जुगाड़ को करना बहुत ही आसान है. इसके लिए 50 से 100 रुपये में मिलने वाला एक टॉर्च खरीदना होगा. अपनी फसलों को नीलगाय और जंगली जानवरों से बचने के लिए आपको बाजार में एक छोटी टॉर्च खरीदकर खेत में लगभग 8 से 10 फीट का डंडा लगना होगा. फिर टॉर्च में को उसी में बांध देना होगा. रात होते ही टॉर्च को जला दें जब टॉर्च हवा चलने से हिलेगाा तो नीलगाय को लगेगा कि कोई खेत में कोई रखवाली कर रहा है और वह खेत में नहीं घुसेंगी.

प्लास्टिक का करें इस्तेमाल: वही प्लास्टिक का इस्तेमाल करके भी नीलगायों खेत से भागने का काम किया जा सकता है. किसान नीलगाय से खेत में खड़ी फसल को सुरक्षित रखने के लिए अपने खेतों की मेड़ों पर डंडे को गाड़कर उसमें रस्सी लगा दें. फिर राशियों में चमकदार पान्नियों को की माला खेत की चारो ओर लगा दें. खेत में उड़ते रंगीन पन्नियों को देखकर नीलगाय खेत से दूरी बना लेते हैं.

ये घोल करें तैयार: इसके अलावा नीलगाय के आतंक को कम करने के लिए किसान घरेलू तरीका भी अपना सकते हैं. इसके लिए किसान को अपनी फसलों पर 4 किलो मट्ठे में छिला हुआ प्याज बालू के साथ मिलकर अपनी फसलों को छिड़काव करें. इस घोल की गंध से नीलगाय खेतों के आसपास भी नहीं आएंगी. इसके अलावा आप खेतों की मेढ़ पर करौंदा, तुलसी, मेथा या फिर लेमन ग्रास का पौधा लगा सकते हैं. इन पौधों की सुगंध से भी नीलगाय खेत में नहीं घुसते हैं.

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