नई दिल्ली. जहां एक और पोल्ट्री सेक्टर की जरूरत को ही मक्का पूरा नहीं कर पा रही है तो वहीं दूसरी ओर पोल्ट्री सेक्टर के सामने एथेनॉल एक बड़ी समस्या बनकर उभर गया है. दरअसल सरकार ने एथेनॉल बनाने के लिए मक्का को मंजूरी दे दी है. जिसको लेकर पोल्ट्री एक्सपर्ट इस पर गहरी चिंता जताते नजर आ रहे हैं. पोल्ट्री फेडरेशन ऑफ इंडिया की कोषाध्यक्ष रिकी थापर का कहना है कि इस तरह से तो इंटरनेशनल मार्केट में पोल्ट्री सेक्टर टिक ही नहीं पाएगा. साथ ही हमारे घरेलू बाजार पर भी इसका असर पड़ेगा.
70 फीसदी फीड में है मक्का
ये बात सच है कि अंडे और चिकन से जुड़ा पोल्ट्री कारोबार हर साल 8 से 10 फीसदी की दर से बढ़ रहा है. क्योंकि घरेलू बाजार में चिकन और अंडे की डिमांड बढ़ रही है. एक्सपर्ट रिकी थापर का कहना है कि पोल्ट्री फीड में कुल मक्का उत्पादन का लगभग 65 से 70 फ़ीसदी हिस्सा शामिल होता है. जबकि सोयाबीन भोजन (एसबीएम) भी इसमें शामिल है. मौजूदा वक्त में भारत में मक्का उत्पादन का करीब 47% मक्का उत्पादन पोल्ट्री फीड में 13 फ़ीसदी पशु आहार में इस्तेमाल हो रहा है.
आयात की मांग हो रही है
इसी वजह से पोल्ट्री सेक्टर को बचाने के लिए पोल्ट्री से जुड़े कई संगठन सरकार से जीएम मक्का और सोयाबीन के आयात की भी अनुमति देने की मांग करते रहे हैं. जबकि यह डिमांड पहली बार नहीं की गई है. साल 2021 में फीड की कीमतों में रिकॉर्ड बढ़ोतरी के बाद घरेलू पोल्ट्री को मदद के लिए सोयाबीन भोजन की 1.2 मिलियन टन की पहली खेप की अनुमति देते हुए आयात नियमों में रियायत दी गई थी.
डिमांड को पूरी नहीं हो रही
रिकी थापर कहते हैं कि एथेनॉल उत्पादन में मक्का की बढ़ती डिमांड ने पोल्ट्री सेक्टर की चिंता को बढ़ा दिया है. बता दें कि भारत का 34.60 मिलियन टन सालाना मक्का उत्पादन पोल्ट्री सेक्टर के साथ-साथ देश की खाद्य सुरक्षा की आवश्यकताओं को पूरा करने में प्रर्याप्त नहीं है. जबकि एथेनॉल में इसकी मंजूरी से मुश्किलें और बढ़ जाएंगी. कमी को देखते हुए साल 2022—23 में भारत ने 6.65 लाख मीट्रिक टन फोल्ड पोल्ट्री प्रोडक्ट निर्यात किया था. जिसकी कीमत 1000 करोड़ रुपए से ज्यादा थी.
हिस्सेदारी बढ़ाने की जरूरत
ऐसे में एथेनॉल बनाने के लिए मक्का को मंजूरी दे देने से पोल्ट्री सेक्टर के सामने मुश्किलें खड़ी हो जाएंगी. उन्होंने बताया कि विश्व में कुल पोल्ट्री बाजार में भारत की हिस्सेदारी मात्र 1.2 फ़ीसदी है. जिसे कम से कम 10 फीसदी करना ही होगा. पोल्ट्री में भारत सबसे ज्यादा अंडे और अंडे के पाउडर का निर्यात करता है. जबकि बहुत ही कम मात्रा में चिकन सिर्फ कुछ पड़ोसी देशों में को निर्यात किया जाता है, लेकिन इस वक्त पोल्ट्री सेक्टर में रेडी टू ईट और रेडी टू कुक का ध्यान देना होगा.
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