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Fodder: ज्यादा प्रोडक्शन के लिए पशुओं को खिलाएं ये चारा, यहां पढ़ें बुवाई, सिंचाई और कटाई का तरीका

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प्रतीकात्मक फोटो

नई दिल्ली. दूध का प्रोडक्शन बढ़ाने के लिए पशुओं को कई किस्म का चारा दिया जाता है. जिसे खाकर पशु ज्यादा दूध उत्पादन करते हैं. एक्सपर्ट का कहना है कि पशुओं को ऐसा हरा चारा देना चाहिए, जिसको खाने के बाद पशुओं को भरपूर पोषक तत्व मिल सके. जब पशुओं को पोषक तत्व मिल जाएगा तो उनकी सेहत ठीक रहेगी और इससे उत्पादन पर कोई असर नहीं पड़ेगा. वैसे भी पशुपालकों की कोशिश रहती है कि उनका पशु ज्यादा से ज्यादा दूध उत्पादन करे. इसमें कोई कमी न हो. अगर दूध उत्पादन अच्छा होगा तो उन्हें फायदा होगा.

इस आर्टिकल में हम आपको ज्वार के बारे में बताने जा रहे हैं किे पशुओं को इसको खिलाने ज्यादा उत्पादन करेगा. आइए इसके बारे में जानते हैं. बताते चलें कि ज्वार, खरीफ के मौसम में चारे की मुख्य फसल है. इसकी उन्नत किस्मों में 7-9 प्रतिशत प्रोटीन होता है, जिससे ये किस्में प्रोवाइडिंग आहार मानी जाती है. उन्नत किस्मों की बात की जाए तो मीठी ज्वार (रियो), पी.सी. 6. पी.सी. 9. यू.पी. चरी व पन्त चरी-3, एच.सी. 308, हरियाली चरी-1711, कानपुरी सफेद इत्यादि किस्मों का चुनाव करना चाहिए.

कितनी होनी चाहिए मात्रा
ज्वार की बुआई जून-जुलाई महीनों में करनी चाहिए. वर्षा न होने की स्थिति में बुआई पलेवा करके करनी चाहिए. छोटे बीजों वाली किस्मों जैसे मीठी ज्वार के बीज 25 से 30 किलोग्राम तथा दूसरी किस्मों के बीज 40 से 50 किलोग्राम प्रति हेक्टर रखनी चाहिए. इसे फलीदार फसल जैसे-लोबिया के साथ 2:1 के अनुपात में बोया जा सकता है. इससे हरे चारे की पौष्टिकता व उत्पादकता बढ़ जाती है.

बुआई का तरीका
बीज की बुआई छिड़काव या सीडड्रिल से की जा सकती है. मिलवां फसल में बुआई सौडाँडल द्वारा कूड़ों में करनी चाहिए. उर्वरक का प्रयोग मिट्टी परीक्षणों के आधार पर करना चाहिए. आमतौर पर 80-100 कि.ग्रा. नाइट्रोजन तथा 40 कि.ग्रा. फॉस्फोरस एवं 20 किग्रा पोटाश प्रति हेक्टर की दर से चारे की अधिक उपज प्राप्त की जा सकती है. नाइट्रोजन की दो तिहाई मात्रा तथा फॉस्फोरस व पोटाश की पूरी मात्रा बुआई के समय उपयोग करनी चाहिए. शेष एक-तिहाई नाइट्रोजन की मात्रा का प्रयोग बुआई के 30-35 दिनों के बाद में टॉप ड्रेसिंग करना चाहिए.

सिंचाई कैसे करें
जून में बुआई करने पर सूखे की स्थिति में 2 सिंचाई की आवश्यकता पड़ती है. बाद में आवश्यकता अनुसार सिंचाई करें. कटाई व उपजः चारे के लिये बोई गयी फसल 60-70 दिनों में कटाई योग्य हो जाती है. पौष्टिक चारा प्राप्त करने हेतु कटाई फूल आने की अवस्था पर करनी चाहिए। उक्त किस्मों से हरा चारा उपज 250-450 क्विंटल प्रति हैक्टर प्राप्त होती है.

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