Home मछली पालन Fisheries: ठंड में मछलियों को होती हैं ये परेशानियां, पढ़ें कैसे कर सकते हैं दूर, जानें क्या करना है क्या नहीं
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Fisheries: ठंड में मछलियों को होती हैं ये परेशानियां, पढ़ें कैसे कर सकते हैं दूर, जानें क्या करना है क्या नहीं

तालाब में खाद का अच्छे उपयोग के लिए लगभग एक सप्ताह के पहले 250 से 300 ग्राम प्रति हेक्टेयर बिना बुझा चूना डालने की सलाह एक्सपर्ट देते हैं.
तालाब में मछली निकालते मछली पालक

नई दिल्ली. मछली पालन एक बेहतरीन व्यवसाय है, जिसे करने वाले हर साल लाखों में कमाई करते हैं. एक एकड़ में मछली पालन करके 5 लाख रुपये तक कमाया जा सकता है. हालांकि इसमें भी मौसम के लिहाज से मछलियों की देखरेख की जरूरत होती है. ठंड का मौसम बिल्कुल करीब है. ऐसे में मछली पालकों को पता होना चाहिए कि मछलियों की ठंड में किस तरह देखरेख की जाए, जिससे ग्रोथ और उत्पादन असर न पड़े और मछली पालन में नुकसान न उठाना पड़े. एक्सपर्ट का कहना है कि नवंबर से जनवरी माह तक के दौरान ठंड का असर ज्यादा रहता हैं. इसलिए ज्यादा ध्यान देने की जरूरत होती है.

नवंबर से जनवरी के दौरान वातावरण की तापमान आमतौर 10 डिग्री सेल्सियस से 20 डिग्री सेल्सियस तक रहता है. जबकि मछली के विकास के लिए उपयुक्त तापमान 28 से 32 डिग्री सेल्सियस तक होता है. इसलिए इस मौसम में मछलियों को तनाव में रहना पड़ता है.

माना जाता है मंदी का मौसम

  • ठंड में वातावरण की तापमान बहुत ही कम हो जाता है.
  • सूरज की रोशनी की अवधि कम होने की वजह से प्रकाश संस्लेषण Light refraction की कमी हो जाती है.
  • ठंड के दौरान वातावरण में कोहरा ज्यादा होता है. मछलियों की प्राकृतिक भोजन बनाने की प्रक्रिया धीमी हो जाती है.
  • तालाब में घुलित ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है.

क्या-क्या होती हैं समस्याएं

  • मछलियों का ग्रोथ रेट बिल्कुल कम हो जाती है.
  • घुलित ऑक्सीजन का स्तर लगातार काम होता जाता है, जिसके कारण मछलियों तालाब की ऊपरी सतह में आकर सांस लेती हैं.
  • मछलियों में कई तरह की बीमारी होने की संभावना बहुत अधिक बढ़ जाती है.
  • ठंड में सबसे खतरनाक ये होता है कि मछलियों की मृत्युदर बढ़ जाती है.
  • मछलियों की मैटाबोलिज्म दर कम हो जाती है और इसलिए मछली खाना कम या बंद कर देती हैं.

ठंड के दौरान जरूर करें ये काम

  • मछली का घनत्व कम करें ओर बड़ी मालियों की निकासी कर बिक्री करे दें.
  • तालाब में खाद का प्रयोग कम या बिल्कुल ही बंद कर दें.
  • यदि मछली की निकासी नहीं करनी हो तो तालाब में पानी न चलाएं.
  • हफ्ते में एक बार सुबह सूरज की मौजूदगी में सुबह 10-11 बजे नीचे की गैसों (NH, H,S, आदि) को हटाने के लिए तालाब के तल को काटेदार रस्सी के माध्यम से चलायें.
  • ठंड में बड़े कॉमन कार्य को ब्रीडिंग करवा सकते हैं और इसके लिए जरूरी जलकुम्भी की व्यवस्था कार मछली का जीरा हासिल कर सकतें हैं.
  • तालाब में किसी भी तरह की दवा का प्रयोग न करें, यदि जरुरी हो तो मछली पालन के जानकार से बातचीत करें.

जल प्रबंधन कैसे करें

  • ठंड के दौरान कुल 50 किलों एकड़ के दर से चूना का प्रयोग करना चाहिए.
  • चूने की कुल मात्रा का 20 फीसदी के हिसाब से हर 15 दिन के गैप पर इस्तेमाल करें.
  • चूना का घोल बना कर तुरंत प्रयोग करें.
  • चूने के इस्तेमाल के दौरान ध्यान रखें की मौसम साफ हो.
  • यदि संभव हो तो नमक 20 किलो एकड़ के दर से दो बार में प्रयोग करें.
  • यदि तालाब में लाल या गहरे हरे रंग की परत बन गई हो तो उसे तैरती हुई मोटे रस्सी की मदद से हटा दें.
  • सुबह-सुबह 1-2 घंटे के लिए बोरेवेल के माध्यम से तलाब में पानी जरुर चलाएं. जिससे पानी का तापमान, ऑक्सीजन का स्तर और तालाब जल की स्तर (5 फीट से अधिक) बढ़ जाए.

आहार प्रबंधन कैसे किया जाए

  • आमतौर पर हर दिन की मात्रा का एक तिहाई पूरक आहार का ही प्रयोग करें.
  • मछलियों को पूरक आहार दिनभर में सिर्फ एक ही बार दें.
  • मछलियों को आहार दोपहर के समय 11 से 12 बजे जब मौसम साफ हो तब दें.
  • मछलियों को आहार देने के 1-2 घंटे बाद जांच कर लें, अगर फीड सात्म नहीं हुई है तो उसके मुताबिक फीड की मात्रा कम कर दें.

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