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Fish: मछली पालन के ‘सुल्तान’ से जानिए बिजनेस के टिप्स, नई रिसर्च करके बुलंदियों तक पहुंचाया कारोबार

जो भी भाई मछली पालन में आना चाहते हैं, वह थोड़ा इंतजार करें. क्योंकि इसमें गेहूं और धान की तरह छह महीने में फसल नहीं मिलती है. इसमें इंसान को 12-13 महीने का लंबा इंतजार करना पड़ता है
प्रतीकात्मक फोटो

नई दिल्ली. मछली पालन व्यवसाय एक मुनाफे का सौदा है और तेजी के साथ किसान मछली पालन के कारोबार से जुड़ रहे हैं. मछली की ग्रोथ जितनी अच्छी होती है, फसल तैयार होने के बाद उतना ज्यादा फायदा मिलता है. लेकिन इसमें समय का बेहद अहम रोल होता है. हरियाणा सहित भारत में मछली पालन को काफी बढ़ावा दिया जा रहा है, ताकि मछली पालन करने वाले लोग इसको मुनाफे का सौदा बन सके. भारत में मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए जहां सरकार वैज्ञानिक इसके ऊपर काम कर रहे हैं वहीं उनके साथ मिलकर प्रगतिशील मछली पालन किसान भी मछली पालन में नए-नए रिसर्च करके उसको बुलंदी तक पहुंचा रहे हैं. उन्हीं में से एक प्रगतिशील मछली पालक हरियाणा के करनाल जिले के गांव बुटाना के सुल्तान सिंह है जो चार दशक से ऊपर से मछली पालन कर रहे हैं और देश विदेशों में मछली पालन में भारत का नाम रोशन कर रहे हैं.

नाम मात्र पैसों से शुरू किया गया काम आज करोड़ों में पहुंचा है. पद्मश्री मछली पालक सुल्तान सिंह ने बताया कि उन्होंने इसकी शुरुआत आज से चार दशक पहले की थी, जिसमें उन्होंने थोड़े से पैसे लगाकर अच्छा मुनाफा लिया था. लेकिन उन थोड़े से पैसों से शुरू किया गया काम आज वह करोड़ों में पैसे कमा रहे हैं. उन्होंने बताया कि जो भी भाई मछली पालन में आना चाहते हैं, वह थोड़ा इंतजार करें. क्योंकि इसमें गेहूं और धान की तरह छह महीने में फसल नहीं मिलती है. इसमें इंसान को 12-13 महीने का लंबा इंतजार करना पड़ता है और एकदम से कोई करोड़पति नहीं बनता है. उसके लिए मेहनत और समय दोनों लगते हैं.

1986 में उत्तरी भारत की पहली मछली हेचरी की तैयारः सुल्तान सिंह ने बताया कि जब उन्होंने शुरुआती समय में अपना काम शुरू किया था, तो उन्हें कोलकाता से मछली का बीज लाना पड़ता था और वह ट्रेन में आता था जिसमें ट्रेन कई बार लेट भी हो जाती थी, इससे उनके व्यापार पर काफी प्रभाव पड़ता था और नुकसान भी झेलना पड़ता था. फिर उन्होंने सोचा कि क्यों ना खुद की बीज की हैचरी लगाई जाए. उन्होंने फिर 1986 में उत्तरी भारत की सबसे पहले ही मछली के बीच की हैचरी अपने फार्म पर स्थापित की थी.

पंजाब हरियाणा राजस्थान, यूपी, महाराष्ट्र सहित कई राज्यों में फैला है उनका कामः सुल्तान सिंह ने बताया कि मछली के बीज की हैचरी लगाने के बाद उन्होंने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा और अब वह हरियाणा पंजाब राजस्थान उत्तर प्रदेश महाराष्ट्र सहित कई राज्यों में अपना मछली का बीज सप्लाई करते हैं और वहां पर मछली पालन भी कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि उनके द्वारा मौजूदा समय में करीब डेढ़ सौ एकड़ में मछली पालन किया जा रहा है. और एक एकड़ से करीब ढाई से तीन लाख रुपये आसानी से मुनाफा हो जाता है.

देश में मछली पालन को बढ़ावा देने पर मिला सम्मानः भारत में मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए जहां सरकार वैज्ञानिक इसके ऊपर काम कर रहे हैं वहीं उनके साथ मिलकर प्रगतिशील मछली पालन किसान भी मछली पालन में नए-नए रिसर्च करके उसको बुलंदी तक पहुंचा रहे हैं.उन्हीं में से एक प्रगतिशील मछली पालक हरियाणा के करनाल जिले के गांव बुटाना के सुल्तान सिंह है जो चार दशक से ऊपर से मछली पालन कर रहे हैं और देश विदेशों में मछली पालन में भारत का नाम रोशन कर रहे हैं.

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