नई दिल्ली. मछली पालन एक बेहतरीन काम है और इससे खूब कमाई की जा सकती है. सरकार भी चाहती है कि लोग मछली पालन करें ताकि उनकी इनकम बढ़ सके. इसलिए सरकार की ओर से सब्सिडी और लोन की व्यवस्था की गई है. तकि लोगों के पास बजट की कमी है तो सरकार से आर्थिक मदद लेकर इस काम को कर सकें. फिश एक्सपर्ट का कहना है कि मछली पालन में कई चीजों की जानकारी करना बेहद जरूरी है, नहीं तो इस काम में नुकसान भी हो सकता है. इसलिए मछली पालकों को एक्सपर्ट हमेशा ही ट्रेनिंग लेने के बाद इस काम को करने की सलाह देते हैं.
फिश एक्सपर्ट का कहना है कि मछली पालन में सबसे अहम कामों में से एक एरिएशन का काम है. तालाब के अंदर एरिएटर चलाया जाता है, ताकि मछलियों को ऑक्सीजन मिल सके. क्योंकि अक्सर मछलियों में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है. इस वजह से एरिएटर चलाना पड़ता है. इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि बिना एरिएटर चलाए बिना भी कैसे मछलियों के लिए तालाब में ऑक्सीजन की मात्रा को भरपूर रूप से बनाया जा सकता है.
इस तरह तालाब में ऑक्सीजन रहती है मेंटेन
बड़े लेवल पर फिश फार्मिंग करने वाले कई मछली पालकों का कहना है कि किसान चाहें तो तालाब के किनारे एक ट्यूबवेल लगवा सकते हैं. इससे वो तालाब के अंदर ताजा पानी भर सकते हैं. वहीं एक ऐसा पंपिंग सेट लगवाएं जिससे कि तालाब का पानी को उसी तालाब में वापस डाला जा सके. बस इसके लिए जरूरी है कि थोड़ा सा ऊंचाई से पानी तालाब के अंदर गिरे. इससे एरिएटर मशीन चलाने की जरूरत नहीं पड़ेगी और पानी में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ जाएगी. पानी ऊपर से गिरेगा तो तालाब के पानी पर जमी परत टूट जाएगी और इसे ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ जाएगी. जिससे मछलियों को भरपूर मात्रा में ऑक्सीजन मिलती रहेगी और उन्हें किसी भी तरह की कोई दिक्कत नहीं आएगी. इस तरीके से एरिएशन अच्छी तरह से भी किया जा सकता है.
इससे कम हो जाएगी मछली पालन की लागत
आपको बता दें कि बहुत से मछली पालक मछली के साथ-साथ बत्तख का भी पालन करते हैं. ताकि एरिएशन का काम बत्तख कर दें. क्योंकि बत्तख जब पानी में रहती है तो वह बार-बार अपने पंखों को चलाती रहती है. इससे पानी में एरिएशन का काम होता रहता है. अगर आप चाहें तो बत्तख पालन करके भी एरिएशन का काम कर सकते हैं. जिससे आपको एरिएटर मशीन पर खर्च नहीं करना होगा और इससे आपकी मछली पालन की लागत भी कम हो जाएगी.
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