नई दिल्ली. मछली पालन फायदे का बिजनेस है. सरकार भी कई स्कीम चलाकर मछली पालन को बढ़ावा दे रही है. ताकि लोग ज्यादा से ज्यादा मछली पालन में आगे आएं और अपनी इनकम को बढ़ाएं. मछली पालन के बिजनेस में तालाब में आक्सीजन का होना बेहद जरूरी है. वहीं तालाब में मिलने वाले पोषण की चीजों का होना भी बहुत जरूरी है. एक अच्छा मछली पालन एक एकड़ के तालाब में किया जा सकता है. मछली के तालाब में चूने का उपयोग कैसे करें, जिससे आपकी मछली की ग्रोथ अच्छी हो, आइये इस आर्टिकल के जरिए जानते हैं चूने का प्रयोग.
मछली की ग्रोथ वैसे तो छह से सात महीने में शुरू होती है. लेकिन कुछ तरीकों से आप मछली पालन में पांच महीने में ही अच्छी ग्रोथ ले सकते हैं. इसके लिए कुछ तरीकों का प्रयोग करना होगा. तालाब की देखभाल उसमें सबसे पहले है. एक तालाब में मछलियों की देखभाल के लिए उसका साफ और आक्सीजन युक्त पानी अहम रोल निभाता है. चूना के प्रयोग से आप तालाब को अच्छा कर सकते हैं. आइये जानते हैं चूने के फायदे और इसका प्रयोग कैसे करें.
तालाब में चूने का प्रयोग ऐसे करें: मछली के तालाब में चूना पोषक तत्व होता है, ये कैल्शियम उपलब्ध कराने के साथ जल की अम्लीयता को कंट्रोल करता है. चूने से हानिकारक धातुओं को अलग करता है. चूना विभिन्न परजीवियों के प्रभाव से मछलियों को मुक्त कराता है और तालाब के घुलनशील ऑक्सीजन के लेबल को बढ़ाता है. नाईट्रोजन उर्वरकों के लगातार उपयोग से और जैविक पदार्थों से उत्पन्न अम्लों के कारण मिट्टी की अम्लीयता बढ़ जाती है। अम्लीयता की अवस्था में डाला गया फास्फोरसयुक्त उर्वरक निरर्थक चला जाता है. इसलिए चूना तालाब में डालना बेहद जरूरी है. चूने की मात्रा मिट्टी पर निर्भर करती है.
तालाब की तली को ऐसे करें साफ: तालाब के तल में अधिक मात्रा में कार्बनिक पदार्थ हो जाने पर अक्सर कई प्रकार की जहरीली गैसें पैदा होती है, जो मछली की सेहत पर बुरा असर डालती हैं. इसलिए तालाब को सुखाकर तली की एक परत निकाल देना चाहिए और 1 टन प्रति हेक्टर चूना डालकर 15 दिन के लिए तल को सूर्य की रोशनी देनी चाहिए. यदि तालाब से पानी निकालना संभव न हो तो तल को समय-समय पर रेकिंग करते रहना चाहिए. 1 टन चूना प्रति हेक्टर प्रति वर्ष समय समय पर डालना चाहिए.
मिट्टी का पी.एच. मान
मिट्टी का प्रकार
चूने की मात्रा कि.ग्रा./हे.
0.4-5.0
अत्यधिक अमलीय
2000
5.0-6.0
मध्यम अमलीय
1200
कम अमलीय
6.0-6.5
1600
6.5-7.5
सामान्य से करीब
250 से 350
अत्यधिक क्षारीय मिट्टी (पी.एच.8.5 से अधिक) को गोबर की उचित मात्रा 20-30 टन प्रति हेक्टर के
प्रयोग से या जिप्सम के 5-5 टन प्रति हेक्टर के प्रयोग से मत्स्यपालन के योग्य पी.एच. पर लाया जा सकता
है.
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