नई दिल्ली. मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय (MoFAH&D) के अंतर्गत मत्स्यपालन विभाग (DoF) ने 23 मई 2025 को नई दिल्ली में “मत्स्यपालन सचिव सम्मेलन 2025” और जलीय कृषि में प्रौद्योगिकी और नवाचार के दोहन पर राष्ट्रीय कार्यशाला आयोजित की गई. जिसमें प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY), मत्स्यपालन और जलीय कृषि अवसंरचना विकास निधि (FIDF) की प्रगति की समीक्षा की गई और योजनाओं में उपलब्धियों और प्रमुख वितरण पर ध्यान केंद्रित करते हुए प्रधानमंत्री मत्स्य किसान समृद्धि सह-योजना (PM-MKSSY) के कार्यान्वयन की समीक्षा की गई. बैठक मत्स्यपालन विभाग के सचिव (मत्स्यपालन) डॉ. अभिलक्ष लिखी की अध्यक्षता में आयोजित की गई थी. इस दौरान डॉ. अभिलाक्ष लिखी ने कहा कि राज्यों से नवाचार, बुनियादी ढांचे और संस्थागत तालमेल के माध्यम से मत्स्य पालन क्षेत्र को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से सहयोगी प्रयासों को मजबूत करने का आग्रह किया गया है.
उन्होंने हका कि संसाधन मानचित्रण, बायोमेट्रिक पहचान और चेहरे की पहचान जैसे पहलुओं को कवर करते हुए मछुआरों की सुरक्षा और परिचालन दक्षता बढ़ाने के लिए उपग्रह प्रौद्योगिकी के व्यापक उपयोग पर जोर दिया गया. स्मार्ट, एकीकृत मछली पकड़ने के बंदरगाहों और आधुनिक मछली बाजारों के विकास को भविष्य की प्रमुख प्राथमिकता के रूप में पहचाना गया. लिखी ने जीवित मछली परिवहन के लिए ड्रोन तकनीक पर एक पायलट परियोजना पर प्रकाश डाला, जिसका लक्ष्य 70 किलोग्राम पेलोड वाला ड्रोन विकसित करना है जो एग्रीगेटर से वितरण प्वाइंट तक कठिन इलाकों में जीवित मछली ले जाने में सक्षम हो.
योजनाओं का फायदा पहुंचाने की अपील किया
आईसीएआर संस्थानों को प्रसंस्करण, विपणन और पैकेजिंग पर विशेष रूप से क्लस्टर विकास और एक संपन्न स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र के माध्यम से मजबूत फोकस के साथ प्रोत्साहित किया गया. मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए अमृत सरोवर का लाभ उठाने पर विशेष जोर दिया गया, राज्यों से सक्रिय समर्थन मांगा गया. मत्स्य पालन सचिव ने सजावटी मत्स्य पालन को बढ़ावा देने और समुद्री शैवाल की खेती और कृत्रिम चट्टानों के विकास का भी आह्वान किया, इन उभरते क्षेत्रों में निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित किया. मत्स्य पालन विभाग के संयुक्त सचिव (अंतर्देशीय) सागर मेहरा ने अंतर्देशीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में अंतर्देशीय मत्स्य पालन से संबंधित प्रमुख मुद्दों पर प्रकाश डाला, राज्यों से राष्ट्रीय मत्स्य विकास पोर्टल (एनएफडीपी) पर पंजीकरण के लिए आवेदन जुटाने और विभिन्न केंद्रीय क्षेत्र की योजनाओं के तहत लाभों तक पहुंच बढ़ाने की सुविधा देने का आग्रह किया ताकि विभिन्न मत्स्य पालन पहलों के कार्यान्वयन को मजबूत किया जा सके और प्रजाति विविधीकरण.
केसीसी से मछली किसानों को आसानी से मिलेगा लोन
उन्होंने कहा कि यह पाया गया कि किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) योजना के तहत मछली किसानों के लिए संस्थागत ऋण तक पहुंच एक चिंता का विषय बनी हुई है. इस बात पर प्रकाश डाला गया कि अधिक समावेशी और प्रभावी ऋण देने में सक्षम बनाने के लिए आधुनिक मत्स्य पालन प्रथाओं और प्रौद्योगिकी-संचालित मॉडलों पर वित्तीय संस्थानों और बैंकों को और अधिक संवेदनशील बनाने की गुंजाइश है. बढ़ते मछली उत्पादन के साथ, कई राज्यों ने मूल्य श्रृंखला दक्षता बढ़ाने के लिए हाइजीनिक मछली कियोस्क और आधुनिक मछली बाजारों सहित कटाई के बाद के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने की आवश्यकता पर जोर दिया है। इसके अतिरिक्त, बाजार संपर्कों में सुधार – भौतिक और डिजिटल दोनों – मछुआरों और किसानों के लिए उचित मूल्य और स्थिर आय सुनिश्चित करने में मदद करेगा.
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