Home मछली पालन Fish Farming: मछली पालन में डिजिटल क्रांति लाई सरकार, 1.12 मिलियन टन सी वीड पैदा का टारगेट पूरा
मछली पालन

Fish Farming: मछली पालन में डिजिटल क्रांति लाई सरकार, 1.12 मिलियन टन सी वीड पैदा का टारगेट पूरा

समुद्री शैवाल की खेती को बढ़ावा देने पर पहली कांफ्रेंस जनवरी 2024 में गुजरात के कच्छ में हुई थी. समुद्री शैवाल की खेती, समुद्री शैवाल उत्पादों के रोजगार देने है विकल्प है.
प्रतीकात्मक तस्वीर

नई दिल्ली. मछली पालन देश की इकोनॉमी में बड़ा रोल निभाता है. यह इनकम, एक्सपोर्ट, भोजन और पोषण के साथ-साथ रोजगार में भी योगदान देता है. मछली पालन को तेजी से बढ़ रहा है और यह देश में करीब 30 मिलियन लोगों की आजीविका को बनाए रखने में हेल्प कर रहा है. वंचित और कमजोर समुदायों के लोगों को इससे अच्छा रोजगार मिल रहा है. पिछले 10 वर्षों में भारत सरकार (जीओआई) ने मछली प्रोडक्शन और प्रोसेसिंग बढ़ाने के लिए कई पहल की हैं. इन पहलों से वित्त वर्ष 2022-23 में कुल (अंतर्देशीय और समुद्री) मछली उत्पादन बढ़कर 175.45 लाख टन हो गया है, जो वित्त वर्ष 2013-14 में 95.79 लाख टन था. वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान अंतर्देशीय मछली पालन और जलीय कृषि उत्पादन बढ़कर 131.13 लाख टन हो गया है, जो वित्त वर्ष 2013-14 में 61.36 लाख टन था, जो 114 फीसदी की तेजी का दिखाता है.वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान भारतीय समुद्री खाद्य एक्सपोर्ट 60,523.89 करोड़ रुपये रहा, जो 2013-14 में 30,213 करोड़ रुपये से दोगुने से अधिक की ग्रोथ को दिखाता है.

समुद्री शैवाल की खेती को बढ़ावा देने पर पहली कांफ्रेंस जनवरी 2024 में गुजरात के कच्छ में हुई थी. समुद्री शैवाल की खेती, समुद्री शैवाल उत्पादों के रोजगार देने है विकल्प है. क्योंकि यह समुद्री उत्पादन में वैराइटी लाता है और मछली पालन करने वाले किसानों की इनकम बढ़ाने के कारगर है. समुद्री शैवाल की खेती के लिए कोरी क्रीक की एक पायलट परियोजना को अधिसूचित किया गया जो समुद्री शैवाल की खेती को बढ़ावा देने में मदद करेगी.

समुद्री शैवाल, मोती और रंगीन मछली पालन प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) का लक्ष्य 2025 तक देश में समुद्री शैवाल उत्पादन को 1.12 मिलियन टन से अधिक बढ़ाना है. भारतीय समुद्री शैवाल उत्पादन मुख्य रूप से कप्पाफाइकस अल्वारेज़ी और कुछ अन्य देशी किस्मों की खेती पर निर्भर करता है. के. अल्वारेज़ी पर डिपेंड रहने के कारण यह तेजी से बढ़ने की अपनी ताकत खो रहा है और पिछले कुछ वर्षों में रोग-ग्रस्त हो गई है. इसके लिए उत्पादन और उत्पादकता में सुधार के लिए समुद्री शैवाल की नई किस्मों और उपभेदों के इंपोर्ट की जरूरत है.

मछली पालन विभाग, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने अक्टूबर 2024 को समुद्री शैवाल के इंपोर्ट और एक्सपोर्ट को मजबूत करने के लिए भारत में जीवित समुद्री शैवाल के आयात के लिए दिशानिर्देश नामक दिशा-निर्देशों को नोटिफाई किया था. मछली पालन विभाग ने मछली पालन क्लस्टर विकास कार्यक्रम में उत्पादन और प्रोसेसिंग क्लस्टर पर एसओपी जारी की. लक्षद्वीप में समुद्री शैवाल की खेती के लिए तीन स्पेशल मछली प्रोडेक्ट और प्रोसेसिंग क्लस्टर की स्थापना की घोषणा की. इन क्लस्टरों का उद्देश्य सामूहिकता, सहयोग और नवाचार को बढ़ावा देना है, जिससे उत्पादन और बाजार पहुंच दोनों में वृद्धि होगी.

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles