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Fish Farming: मुनाफे का फायदा है इस मछली की फार्मिंग, सरकार के ऑफर का भी उठाएं फायदा

‘Need national guideline on eco-labeling of marine fishery resources’
Symbolic photo. livestock animal news

नई दिल्ली. हिंदुस्तान ही नहीं दुनियाभर में टूना मछली की अच्छी-खासी डिमांड है. इस मछली का निर्यात करने पर लोग अच्छा खासा मुनाफा कमा सकते हैं. फिशरी विशेषज्ञों की मानें तो भारतीय सीमा के गहरे समुद्र टूना मछली से भरे पड़े हैं. ये खास किस्म की मछली ज्यादातर लक्ष्यदीप में बहुत पाई जाती है, लेकिन हाईटेक फिशिंग बोट और तकनीक की कमी के चलते भारतीय टूना मछली एक्सपोर्ट के मानकों को पूरा नहीं कर पाती है. यही वजह है कि दूसरे मुल्कों के मुकाबले भारत की टूना मछली के दाम गिर जाते हैं, जिसे बाद में स्थानीय बाजार में ही कम दाम में बेचना लोगों की मजबूरी बन जाता है.

मछली पालकों की समस्या को देखते हुए भारत सरकार अब सभी को टूना मछली पकड़कर मोटी कमाई करने का मौका दे रही है. इसके लिए सार्वजनिक और प्राइवेट दोनों ही क्षेत्र को ऑफर दिया जा रहा है. हालांकि एक्सपर्ट की मानें तो इसके लिए बड़े इंवेसमेंट, तकनीकी और विशेषज्ञ लोगों की जरूरत होगी.

ये मछली 10-12 लाख रुपये किलो तक में बिक जाती है
टूना मछली की अच्छीखासी डिमांड है. इस मछली का निर्यात करने पर लोग अच्छा खासा मुनाफा कमा सकते हैं. हालांकि स्किपजैक आसैर येलोफिन टूना मछली लोकल मार्केट में 150 से 400-500 रुपये किलो तक मिल जाती है. जबकि अटलांटिक ब्लूफिन टूना की बात करें तो इसकी कीमत उपलब्धता के आधार पर 10 से 12 लाख रुपये किलो तक होती है.

12 फीसद टूना मछली ही पकड़ी जा रही
पिछले दिनों गुजरात के अहमदाबाद में इंटरनेशनल फिशरीज कॉन्क्लेव का आयोजन किया गया था, जिसमें विदेशों से भी फिशरीज के एक्सपर्ट आए थे. एक्सपर्ट और वर्ल्ड बैंक के सलाहकार डॉ. आर्थर नीलैंड ने बताया कि भारत के स्पेशल इकोनॉमिक जोन में टूना मछली की भरमार है. अगर एक मोटो-मोटा अनुमान लगाएं तो भारतीय सीमा के गहरे समुद्र में करीब 1.79 लाख टन टूना मछली हैं. ये दो तरह येलोफिन और स्किपजैक टूना हैं. लेकिन बेहद चिंता की बात है ये है कि इतनी बड़ी मात्रा में होने के बाद भी सिर्फ 25 हजार टन ही टूना मछली पकड़ी जा रही हैं. इसके लिए सरकार, कंपनियों और मछुआरों को रणनीति बनाकर आगे काम करना चाहिए.

फिशिंग बोट में ही होगी कोल्ड स्टोरेज की सुविधा
डीडीजी फिशरीज जेके जैना ने की मानें तो मालदीव की टूना आठ डॉलर के हिसाब से बिकती है. जबकि भारतीय टूना को मार्केट में कोई पूछने वाला नहीं है. ऐसा इसलिए है कि गहरे समुद्र से टूना पकड़कर लौटने में छह से सात दिन तक लग जाते हैं. ऐसे में टूना मछली खराब होने लगती है. अगर फिशिंग बोट में ही कोल्ड स्टोरेज की सुविधा हो तो भारतीय मछुआरों को भी अच्छे दाम मिल सकते हैं

पब्लिक और प्राइवेट सेक्टर के आने से होंगे तीन बड़े फायदे
इस बारे में डॉक्टर नीलैंड कहते हैं कि टूना मछली सिर्फ गहरे समुद्र में ही पाई जाती है. इसलिए अगर पब्लिक और प्राइवेट सेक्टर टूना मछली पकड़ने का काम करते हैं तो इसका लाभ आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय स्तर पर भी होगा. साथ ही अगर विशेषज्ञ मत्स्य पालन विज्ञान, प्रबंधन, मछली प्रसंस्करण और बुनियादी ढांचे के साथ भारत के मजबूत संस्थागत आधार का उपयोग गहरे समुद्र में मछली पकड़ने की विकास योजनाओं के लिए भी फायदेमंद होगा.

जानें क्या हैं टूना खाने के फायदे
टूना मछली के जानकारों की मानें तो टूना मछली का सेवन करने से कई तरह के फायदे हैं. अगर हड्डियों के हिसाब से बात करें तो टूना में विटामिन-डी, कैल्शियम और मैग्नीशियम बहुत ज्यादा मात्रा में पाया जाता है. इसलिए टूना खाने से हड्डियां मजबूत होती हैं. टूना में ओमेगा-3 फैटी एसिड की मात्रा भी पर्याप्त मात्रा में पाई जाती है. इस मछली का सेवन करने से ह्रदय भी मजबूत हो जाता है. आंखों को स्वस्थ रखने और वजन घटाने के लिए भी टूना मछली बेहद लाभकारी बताई जाती है. बताया जा रहा है कि कोरोना के दौरान तो ये भी सामने आया था कि टूना मछली खाने से इम्यूानिटी भी बहुत तेजी से बढ़ती है.

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