नई दिल्ली. ज्यादातर मछली खाने के शौक रखने वाले लोग जिंदा मछली लेना पसंद करते हैं. इसके लिए लोग ज्यादा रुपये भी खर्च करने को तैयार हो जाते हैं. शायद ऐसा फ्रेश मीट की वजह से करते हैं. वहीं ये भी कहा जाता है कि जिंदा मछली कांट-छांट कर बनाने से उसका स्वाद बहुत ही बेहतरीन होता है. जिसका फायदा मछली पालक को भी मिलता है क्योंकि जिंदा मछली की कीमत अच्छी मिलती है. हालांकि तालाब से बाजार तक कई घंटे के सफर के दौरान मछली को जिंदा रखना बहुत मुश्किल होता है. जिस समस्या का हल सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्ट हार्वेस्ट टेक्नोंलॉजी एंड इंजीनियरिंग (सीफेट), लुधियाना ने ढूंढ लिया है. सीफेट की इस टेक्नोलॉजी लोगों को जिंदा मछली भी मिलेगी और मछली पालकों को डबल फायदा भी होगा.
तालाब से बाजार तक ऐसे जाएगी जिंदा मछली
प्रिंसीपल साइंटिस्ट डॉ. अरमान मुजाद्दादी ने कहा कि जल्द ही लाइव फिश करियर सिस्ट्म की टेक्नोलॉजी प्राइवेट फर्म को ट्रांसफर की जाएगी. फिर ये बाजार में आसानी से मिलने लगेगी. जिसको लेकर कंपनियों से बात चल रही है. गौरतलब है कि पहाड़ी इलाकों जैसे हिमचाल प्रदेश में मछली पालन करना बहुत टेढ़ी खीर है. वहां जिंदा मछली भी बाजार में नहीं आ पाती है. ऐसे में दूसरे राज्य और शहरों से लाइव फिश करियर सिस्टम में मछली भरकर आसानी से ऐसे इलाकों में पहुंचाई जा सकती है. उन्होंने बताया कि जब बाजार में जिंदा मछली बिकने के लिए पहुंचती है तो उसके अच्छे दाम भी अच्छे हो जाते हैं. जबकि मरी मछली का रेट और कम हो जाता है. मोबाइल कार्ट बनाने की मुख्य वजह कि बाजार में जिंदा मछली पहुंचाई जाए.
800 किलो तक मछली ले जा सकते हैं
यदि मछली पालक बाजार में 100 किलो तक मछली ले जाना चाहते हैं तो कार्ट को ई-रिक्शा पर लगाया जा सकता है. वहीं ई-रिक्शा को छोड़कर कार्ट की लागत दो लाख रुपये तक पड़ेगी. बाजार में 400 से 500 किलो तक मछली ले जाने के लिए चार लाख रुपये और 700 से 800 किलो के लिए पांच लाख रुपये का खर्च आएगा. क्योंकि मछलियों के वजन के हिसाब से ई-रिक्शा की जगह गाड़ी भी बड़ी होती चली जाएगी. इसे लाइव फिश करियर सिस्टम नाम दिया गया है. वजन के हिसाब से पीवीसी का एक टैंक गाड़ी पर भी इसे लगाया जा सकता है.
लगाए गए हैं कई उपकरण
बनावट की बात की जाए तो टैंक में पानी साफ बना रहे इसके लिए टैंक के ऊपरी हिस्से में फिल्टी लगाया गया है. यदि पानी गंदा रहेगा तो उसमे आक्सीजन नहीं बनेगी और पानी में मूवमेंट देने के लिए एक शॉवर लगाया गया है. मछली को 15 से 20 डिग्री तापमान का पानी चाहिए होता है. इसलिए एक चिलर इसमें लगाया गया है. वहीं सर्दी के लिए हीटर लगाया गया है. टैंक के पानी में बुलबुले बनाने के लिए हवा छोड़ने वाली मोटर लगाई गई है ताकि पानी में बुलबुले बने और मौजूद आक्सीजन आराम से जल्दी ही पानी में घुल जाए.
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