नई दिल्ली. झींगा पालन बढ़ाने को लेकर सरकार बहुत गंभीर है. वहीं पंजाब, राजस्थान, यूपी और हरियाणा में झींगा पालन को बढ़ावा देने के लिए सरकार लगातार कोशिश कर रही है. सरकार की ये कोशिशें कामयाबी में बदली तो इन चार राज्यों में मछली पालकों को फायदा होना तय है. वहीं इन राज्यों में रोजगार के नए अवसर भी खुल जाएंगे. जिसका सीधा फायदा वहां के लोगों को मिलेगा. दरअसल, एक दिन पहले ही मत्स्यपालन विभाग के सचिव डॉ. अभिलक्ष लिखी की अध्यक्षता में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में खारे जल में झींगापालन की समीक्षा को लेकर एक बैठक हुई थी. जहां झींगा उत्पादन डबल करने की सरकारी कोशिशों पर विस्तार के साथ चर्चा की गई.
बैठक में खासतौर पर विभाग की तरफ से जलीय कृषि के लिए संभावित खारे भूमि संसाधनों के इस्तेमाल की रणनीति बनाने के लिए राज्यों, आईसीएआर और अन्य एजेंसियों के सहयोग के संबंधित प्रोसेज पर जोर दिया गया. बैठक में इस पर चर्चा हुई कि जहां खारे भूमि संसाधनों, जो कृषि के लिए उपयुक्त नहीं हैं, उसकी क्षमता का उपयोग हर हाल में किया जाना चाहिए. वहीं इन चार राज्यों में जिन 25 जिलों को इसके लिए चिन्हित किया गया है, वहां पर रोजगार और आजीविका को लेकर लोगों को जागरुक करने को लेकर भी कार्यक्रम चलाने पर विचार हुआ. बैठक में झींगापालन और इसके उपभोग को बढ़ावा देने की बात कही गई. ये तय हुआ था कि खारा प्रभावित क्षेत्रों के विकास के लिए परियोजनाओं से जुड़े तमाम प्रस्तावों को पीएमएमएसवाई के तहत मदद के लिए अगले वर्ष की वार्षिक कार्य योजना में हर हाल में शामिल कर दिया जाए.
अमेरिका और चीन में खूब है डिमांड
जानकारी के लिए बात दें कि लवणता से प्रभावित क्षेत्र कृषि के लिए उपयुक्त नहीं होते हैं. यही वजह है कि इन क्षेत्रों को जलीय कृषि क्षेत्रों में तब्दील करने को लेकर चर्चा हुई है. जिसके मद्देनजर ये तय हुआ कि हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और उत्तर प्रदेश राज्यों में संभावित खारे क्षेत्रों को देखते हुए यहां झींगा उत्पादन करने के लिए लोगों में अवेयरनेस करने पर काम होना जरूरी है. क्योंकि भारत में उत्पादित होने वाले गैर समुंद्री झींगा की इंटरनेशनल लेवल पर बहुत मांग होती है. अमेरिका चीन जैसे देश तो तो इस झींगा के दीवाने हैं. भारत की कोशिश है कि देश में भी इस झींगा की डिमांड को बढ़ाया जाए.
25 जिलों में सामूहिक सर्वेक्षण होगा
बैठक में ये बात निकलकर सामने आई है कि चारों राज्यों में लवणीय भूमि जलीय कृषि के लिए कई परेशानिया भी हैं. इन समस्याओं का समाधान करने के लिए आईसीएआर, राज्य मत्स्य पालन विभाग और अन्य एजेंसियों की सहायता से देश के उत्तरी हिस्से में झींगा की खपत को बढ़ावा देने के लिए जरूरी अवेयनेस कार्यक्रम चलाए. ताकि चिन्हित 25 जिलों में संभावित सामूहिक और सांस्कृतिक क्षेत्र का सर्वेक्षण हो सके. वहीं ताजे पानी/अंतर्देशीय तालाबों में सफेद झींगों के पालन के लिए मौजूदा दिशानिर्देशों की समीक्षा करने पर भी चर्चा हुई.
Leave a comment