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Fisheries: चार साल में जम्मू-कश्मीर में हुआ रिकार्ड मछली उत्पादन, ये मछली बनी लोगों की पहली पसंद

JAMMU KASHMIR,TROUT FISH,
प्रतीकात्मक फोटो

नई दिल्ली. अब मछली पालन सिर्फ साउथ के ही राज्यों में नहीं होता बल्कि पूरे देश में बड़ी मात्रा में किया जा रहा है. इससे जम्मू-कश्मीर भी पीछे नहीं है. अगर जम्मे-कश्मीर मछली पालन विभाग के आंकड़ों पर नजर डालें तो वर्ष 2019 के बाद मछली उत्पादन में लगातार बढ़ोत्तरी हुई है. विभाग के मुताबिक बीते चार सालों में चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है. अकेले कश्मीर ने ही छह हजार टन की मछली उत्पादन में बढ़ोत्तरी करके प्रदेश के राजस्व में भी इजाफा किया है. मछली विशेषज्ञों की बात पर गौर करें तो जम्मू-कश्मीर में ट्राउट मछली को बहुत ही ज्यादा पसंद किया जा रहा है. इसी मछली का उत्पादन चार साल में तीन गुना ज्यादा उत्पादन बढ़ गया है.

लोगों ने अभी सुना या जाना है कि जम्मू-कश्मीर में सिर्फ भेड़-बकरी का ही पालन किया जाता है. लेकिन जम्मू-कश्मीर दूध उत्पादन में भी झंडे गाड़ रहा है. वर्तमान की बात करें तो जम्मू-कश्मीर में भेड़ के मीट की करीब 50 फीसदी आवश्यकता भारत के अन्य प्रदेशों को करता है. यही वजह है कि बढ़ते दूध उत्पादन के लिए डेयरी मंत्रालय ने कश्मीर के कुछ पशुपालकों को कुछ ही दिन पहले सम्मानित भी किया था.

ट्राउट मछली का उत्पादन बढ़कर हुआ 1990 टन
जम्मू-कश्मीर में मछली उत्पादन लगातार बढ़ता जा रहा है.जम्मू-कश्मीर के मछली पालन विभाग के डायरेक्टर मोहम्मद फारुख डार के मुताबिक बीते वित्तीय वर्ष में प्रदेश को मछली पालन से 3.66 करोड़ रेवेन्यू मिला. इसमें सबसे खास बात ये है कि ट्राउट फिश से ज्यादा राजस्व हासिल हुआ. वहीं हम अगर पिछले चार सालों की बात करें तो साल 2019 में कश्मीर में ट्राउट का 598 टन उत्पादन हुआ था. जबकि 2022-23 में यही आंकड़ा बढ़कर 1990 टन पर पहुंच गया. अभी और भी बढ़ने की संभावना है.

ट्राउट फिश की ओर बढ़ा रुझान
जम्मे-कश्मीर में मछली पालन की ओर से लोगों का रुझान बढ़ने लगा है. हर साल इसके उत्पादन में बढ़ोत्तरी हो रही है. इसमें भी मछली पालकों का सबसे ज्यादा ध्यान ट्राउट फिश को पालने की ओर हो रही है. इसके पीछे की वजह बाते हुए मोहम्मद फारुख डार कहते हैं कि बीते चार साल में ही सरकारी मदद से 56 फीसद यानि 611 यूनिट ट्राउट फिश की लगी है. अगर इसमे लोगों की प्राइवेट यूनिट भी जोड़ ली जाएं तो 1144 ट्राउट यूनिट संचालित हैं.

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