Home मछली पालन Fisheries: ये हैं आंध्र प्रदेश और तेलंगाना की राज्य मछलियां, जानें इनके बारे में
मछली पालन

Fisheries: ये हैं आंध्र प्रदेश और तेलंगाना की राज्य मछलियां, जानें इनके बारे में

देश में मछलियों का उत्पादन मीट के लिए किया जाता है.
प्रतीकात्मक तस्वीर।

नई दिल्ली. भारत में नॉनवेजिटेरियन फूड खाने वालों की भी बड़ी संख्या है. कई राज्यों में तो इसके बिना काम ही नहीं चलता. आमतौर पर कुछ सौ रुपये किलों में ही मछली मिल जाती है और लोग इसे चाव से खाते हैं. भारत में जैव विविधता प्रचुर मात्रा में है. यह समुद्री और मीठे पानी के जीवों की विविधता में वास्तव में परिलक्षित होता है. दुनिया में दर्ज की गई कुल मछली प्रजातियों में से लगभग 9.7 प्रतिशत भारतीय जल में पाई जाती हैं. देश के कई राज्यों की मछलियां सूचीबद्ध की गई हैं. आज बात कर रहे हैं आंध्र प्रदेश और तेलंगाना राज्य की मछलियों के बारे में. जानिए इनके बारे में. कौन सी ब्रीड की मछलियां यहां पाई जाती हैं.

देश में मछलियों का उत्पादन मीट के लिए किया जाता है. मछलियों की खपत इतनी है, कि इनकी डिमांड को पूरा करना मुश्किल होता है. देश में बड़े पैमाने पर मछली पालन किया जाता है. आइये जानते हैं आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में कौन सी मछलियां हैं जो पाली जाती हैं. इन म​छलियों को कहां पालते हैं और कैसे ये वहां के लोगों के लिए इनकम का सोर्स हैं.

आंध्र प्रदेश और तेलंगाना की मछलियां:
सामान्य नाम: धारीदार मुर्रेल, धारीदार स्नेकहेड, सामान्य स्नेकहेड है, इनका वैज्ञानिक नाम चन्ना स्ट्रिएटा है. स्थानीय नामों में इन्हें कोर्रामीनू, कोर्रामट्टा, मोरुल, वरल, विराल कहते हैं.

कहां पाई जाती हैं ये मछलियां: ये मछलियां तालाबों, झरनों और नदियों में पाली जाती हैं. मैदानों के स्थिर और कीचड़ भरे पानी को पसंद करती है. इन मछलियों की खासियत होती है कि ये मीठे पानी और खारे पानी दोनों में जीवित रहती है. बरसात और शुष्क मौसम वाले क्षेत्रों में ये मछलियां पलायन कर जाती हैं. स्थाई नदियों और झीलों से बाढ़ वाले क्षेत्रों में पलायन कर सकती हैं और फिर बाढ़ वाले क्षेत्रों के सूखने पर स्थाई पानी में वापस आ सकती हैं.

मुख्य रूप से एशिया में वितरित: इन मछलियों को पाकिस्तान से थाईलैंड और दक्षिण चीन
संकटग्रस्त प्रजातियों की लाल सूची में जगह दी गई है. इनका मूल्यांकन वर्ष 2019 में किया गया था. आईसीएआर-एनबीएफजीआर के प्रस्ताव पर मुरेल को आंध्र प्रदेश की राज्य मछली के रूप में अपनाया गया था. बाद में तेलंगाना ने भी 2016 में मुरेल को अपनी राज्य मछली घोषित किया. यह मछली एक अनिवार्य वायु-श्वास प्रजाति है. वायुमंडलीय ऑक्सीजन प्राप्त करने के लिए सतह पर नियमित यात्राएं आवश्यक हैं. यह दक्षिणी आबादी के बीच एक बेहतरीन व्यंजन है. इसकी उपलब्धता और सामर्थ्य के कारण, धारीदार स्नेकहेड सभी आर्थिक वर्गों के लिए एक उपयुक्त खाद्य स्रोत है.

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

rupchandra fish
मछली पालन

Fish Farming: गर्मियों में पालें रूपचंद मछली, तेजी से होती है इसकी ग्रोथ, मिलता है अच्छा दाम

आपको इससे अच्छा खासा मुनाफा कमाने का मौका मिलेगा. आइए इस आर्टिकल...

डॉल्फिन मछली नहीं है, डॉल्फिन एक स्तनधारी प्राणी है.
मछली पालन

Dolphin: जानें डॉल्फिन के बारे में रोचक जानकारी

डॉल्फिन मछली नहीं है, डॉल्फिन एक स्तनधारी प्राणी है.