नई दिल्ली. इस बार अच्छे मानूसन के चलते बारिश भी खूब होने की संभावना है. ऐसे में नदियों में भी उफान देखने या यूं कह सकते हैं कि बाढ़ आ सकती है. खासकर यमुना, चंबल और गंगा नदी में तो हर बार बाढ़ के चलते हालात बेहद खतरनाक हो जाते हैं. ऐसे में नदियों के तटीय गांवों में तो जनमानस पूरी तरह से प्रभावित हो जाता हैं. इसमें लोगों के अलावा पशुओं को बड़ी परेशानी झेलनी पड़ती है. इन्हीं सब चीजों को लेकर संबंधित राज्यों ने बाढ़ से बचाव के काम शुरू कर दिया है. गंगा में तो अभी से उफान देखने को मिलने लगे हैं. ऐसे में अधिकारियों ने संभावित बाढ़ से बचाने के लिए संबंधित विभागों को सख्त निर्देश दे दिए हैं, जिससे पशुओं को पर्याप्त मात्रा में चारा मिल सके और बीमारियों से बचाया जा सके. बाढ़ आने से पशुओं को काफी नुकसान होता है. समय रहते सकारात्मक उपाय अपनाना बेहद जरूरी है. इसलिए बाढ़ आपदा से पहले डेयरी पशुओं को सकारात्मक उपाय अपनाने चाहिए.
कमिश्नर-आईजी ने दिए ये निर्देश
जल स्तर बढ़ने से गंगा में उफान देख तटीय गांवों को संभावित बाढ़ से बचाने के लिए उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ के कमिश्नर और आईजी ने स्पष्ट कहा है कि निरंतर भ्रमण कर स्थिति पर पैनी नजर बनाए रखें. बाढ़ से बचाव के इंतजामों को परखते रहें. कमिश्नर अलीगढ़ मंडल चेत्रा वी और आईजी रेंज शलभ माथुर ने गंगा नदी के बढ़ते जलस्तर को देखते हुए कासगंज के पटियाली क्षेत्र के तटवर्ती गांव बरौना एवं संभावित बाढ़ क्षेत्र का निरीक्षण कर बाढ़ से बचाव के लिए की गई तैयारियों का पर जायजा लिया.
पशुओं के लिए चारा-दवाओं का हो प्रबंधन
बाढ़ आपदा में डेयरी पशुओं का ध्यान रखना महत्वपूर्ण होता है. कासगंज की डीएम मेधा रूपम ने वरिष्ठ अधिकारियों को बताया कि, जिला प्रशासन द्वारा सिंचाई विभाग के माध्यम से गत वर्ष आई बाढ़ की स्थिति के दृष्टिगत किसी भी प्रतिकूल परिस्थिति से निपटने और संभावित बाढ़ से बचाव और राहत कार्यों की तैयारियां की गई हैं. कमिश्नर ने अधिशाषी अभियंता सिंचाई से कहा कि बनाए गए बांध और संभावित बाढ़ से बचाव के लिए किए गए कार्यों की पूरी प्रोजेक्ट रिपोर्ट उपलब्ध कराएं. गांव में जलभराव न हो सके. पशु टीकाकरण, पेयजल व्यवस्था, पशुओं के लिए चारे की समुचित व्यवस्था कर ली जाए. प्राथमिकता से पशुओं के लिए सुरक्षात्मक उपाय कर लिए जाएं. पशु चिकत्सक तैनात रहें. पशुओं के टीकाकरण का इंतजाम हो. पशुओं के लिए पर्याप्त मात्रा में सरकारी चिकित्सालयों में दवाओं का स्टॉक होना चाहिए.
मानसून से पहले इन पर जरूर दें ध्यान
सुरक्षित स्थानः बाढ़ के खतरे के चलते पशुओं को सुरक्षित स्थान पर रखें. उनके लिए अच्छे शेल्टर की व्यवस्था करें. जैसे स्थानीय प्रकृतिक आवास, बाड़ों, खेतों या पशुशाला में ठहराएं.
पानी व चारे की व्यवस्थाः बाढ़ में पेयजल बह जाता है. डेयरी पशुओं को पानी की उचित व्यवस्था सुनिश्चित करें, जिससे पशुओं को फ्रेश पानी मिले, क्योंकि बाढ़ के दौरान पानी दूषित हो जाता है, जिसे पीने से पशु बीमार हो सकते हैं.
पौष्टिक आहार दें: पशुओं को सही व पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराएं. उन्हें अच्छा चारा दें, पौष्टिक आहार दें. बाढ़ के दौरान खेतों में पानी भर जाता है. ये जलभराव एक दो दिन नहीं बल्कि कई दिनों तक रहता है, जिससे चारा सड़ जाता है. अगर इस सड़े चारे को पशुओं को खिला दिया तो पशु बीमार हो सकते हैं और दूध उत्पादन में भी कमी हो सकती है. इसलिए बारिश में सूखे चारे का इंतजाम पहले से ही करके रख लेंगे तो ज्यादा बेहतर होगा.
चिकित्सा देखभालः बाढ़ के समय पशुओं के लिए विशेष चिकित्सा व्यवस्था करें. उचित टीकाकरण व इलाज उपलब्ध कराएं. नियमित रूप से वेटरनरी डॉक्टर से स्वास्थ्य चेकअप करवाएं.
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