नई दिल्ली. गुजर चुके मॉनसून में पर्याप्त बारिश न होने की वजह से फसलें नष्ट हो गईं. यही नहीं नदियां, नाले और कुएं में भी पर्याप्त पानी नहीं बचा है. इसके चलते ही किसानों को रबी सीजन की फैसले बर्बाद हो गईं. दरअसल, जमीन में पर्याप्त नमी न होने के कारण सूखे जैसे हालात हो गए हैं. वहीं फसलों के साथ-साथ अब सुखे जैसा संकट हो गया है. पशुओं की हालत भी खराब हो गई है. पशुओं को खुरकुट रोग एफएमडी डिजीज का प्रसार भी तेजी से देखा जा रहा है. इस रोग से संक्रमित पशुओं के दूध उत्पादन में भी 50 फीसदी की कमी देखी गई है. संक्रमित पशुओं की मौत भी हो रही है. जिससे पशुपालनों को बड़ा नुकसान हो रहा है. ऐसे में अन्य पशुओं इसके प्रसार को रोकने के लिए तालुका में गायों और भैंसों के नजदीकी अस्पताल में टीका लगवाने के लिए आग्रह किया गया है. इससे खुरपका मुंहपका रोग भी कहते हैं. मालेगांव तालुका में 1 लाख 54 हजार 446 गाय-भैंस और 1 लाख 73 हजार 507 बकरियों का टीकाकरण किया गया है. इसके लिए सरकार ने पशु चिकित्सा विभाग को भी वैक्सीन उपलब्ध करा दी है.
बीमारी के हैं ये लक्षण
अब रोग के लक्षणों की बात की जाए तो पशुओं को बुखार हो जाता है और वह खाना पीना कम या बंद कर देते हैं. मुंह में मसूड़े की श्लैष्मा झिल्ली पर खून और घाव हो जाते हैं. यह घाव फट जाते हैं और अल्सर युक्त हो जाते हैं. इतना नहीं मुंह से लार और नाक से लार का भी रिसाव होता है. जानवर लंगड़ाते हैं और कभी-कभी पूरा खुर बाहर निकलने की समस्या भी हो जाती है. कभी-कभी गाय-भैंसों के थन पर छाले और के साथ मैस्टाइटिस हो जाता है. संक्रमण के कारण अन्य पशुओं में भी बीमारी फैलने का खतरा बढ़ जाता है.
पशु पालक इन बातों का रखें ख्याल
तालुका के लिए सरकार से खुरपका, मुंहपका वायरल रोग पर कंट्रोल पाने के लिए 77 हजार निवारक टीके हासिल किए हैं. तालुका जिले के सभी भैंस और गायों को सभी सरकारी पशु अस्पतालों को दिया जा रहा है. टीकाकरण के बाद पशुपालकों से अपील की जा रही है कि वह पशुओं को छाया में रखें. भरपूर पानी दें और बैलों को 1 दिन का आराम जरूर दें. पशु चिकित्सा विभाग ने बताया कि उक्त टीका साल में दो बार लगाया जाता है. खुरपका मुंहपका रोग के लिए राष्ट्रीय स्तर पर वैक्सीनेशन प्रोग्राम भी चलता है.
इस वजह से कार्य में आई तेजी
एफएमडी टीकाकरण के दूसरे चरण में भी कामयाबी मिलने और 12 राज्यों में तीसरा पूरा होने के बाद ऐसा माना जा रहा है कि जल्द ही इंटरनेशनल लेवल पर देश की कई राज्यों को एफएमडी फ्री जोन घोषित कर दिया जाएगा. इसका एक बड़ा फायदा यह होगा की डेयरी और मीट एक्सपोर्ट की डिमांड में भी तेजी आ जाएगी. जानकारों का कहना है कि 2020-21 में 16.1 पशुओं का एमएफडी टीकाकरण कराया गया था, अभियान के बीच में ही कुछ तकनीकी दिक्कत हो गई थी. कार्यक्रम रुक गया था लेकिन टीकाकरण का दूसरा और तीसरा चरण आते-जाते पशुपालकों में खासी जागरुकता आ गई. जिसकी वजह से इसका कार्य तेजी से चल रहा है.
4.22 करोड़ पशुओं को लगा टीका
दूसरे चरण में 25.01 करोड़ पशुओं में से 24.18 गाय-भैंसों के एमएफडी के कारण हो चुका है. यानी 24 राज्यों ने तो दूसरे चरण की लक्ष्य के वक्त से पहले ही पूरा कर लिया है. जानकारों की मानें तो देश के 12 राज्यों में एमएफडी टीकाकरण का तीसरा चरण पूरा हो चुका है. जबकि 717 राज्यों में अभी तीसरे चरण का टीकाकरण चालू है. मंत्रालय की एक रिपोर्ट के मुताबिक तीसरे चरण के लिए 12 करोड़ पशुओं को टीका कारण हो चुका है. अच्छी बात यह है कि कई राज्यों में चौथे चरण का टीकाकरण शुरू हो चुका है और 4.22 करोड़ वैक्सीनेशन 6 राज्यों में पूरी हो चुके हैं.
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