नई दिल्ली. बकरी पालन जहां एक मुनाफे का सौदा है तो वहीं अब बकरी बेचने में हेराफेरी भी होने लगी है. किसान यदि बकरी पालन करना चाहते हैं तो उन्हें हेराफेरी करने वाले धोखेबाजों से सतर्क रहना होगा. किसानों को सबसे पहले जिस बात पर ध्यान देना चाहिए कि वो ये है कि हमेशा छोटे किसानों से बकरे-बकरी खरीदें लेकिन ट्रेड करने वालों से न खरींदे. क्योंकि कई ट्रेड वाले ही इसके बेचने में हेराफेरी करते हैं. खासतौर पर जब राजस्थान से बकरी खरीदें तो ज्यादा ध्यान दें. वीडियो को देखकर बकरी को खरीदने पर कई बार नुकसान भी उठाना पड़ सकता है.
किस तरह करते हैं चालबाजी
संधु एग्रो फार्म के अमरोहा मालिक डॉ. राजवीर सिंह ने बताया कि ट्रेड करने वाले वीडियो के जरिए जानवर दिखाते हैं. इसके बाद एडवांस पैसे ले लेते हैं. फिर दो दिन पहले माल खरीदते हैं और उसे बाड़े में रख देते हैं. ज्यादातर जो माल उनके पास होता है बिना वैक्सीनेट वाला होता है, क्योंकि वो इसकी लंबी प्रक्रिया होती है. उन्होंने बताया कि जब कोई जानवर खरीदने आता है तो उसी दौरान चालबाज ट्रेडर गुड़ और आटे का पानी पिला देते हें. ऐसा करने से जानवर का वजन एक से दो किलो बढ़ जाता है. जबकि वो किलो के साथ माल देते हैं तो कांटे को भी सेट कर देते हैं. इन दोनों तरह से चालबाजी करके जानवर का वजन 5 केजी बढ़ा देते हैं और फिर किसानों को चूना लगा देते हैं. इसके बाद जानवरों में बीमारी आ जाती है और कई बार मौत भी हो जाती है.
बकरी फार्म से ही खरीदें बकरे-बकरी
डॉ. राजवीर ने बताया कि किसानों को फॉर्म से माल उठाना चाहिए. फार्म का मतलब ये है कि जहां पर ब्रीडिंग होती है. जिनके यहां बच्चे हो रहे हैं. जिनके यहां बकरियां हैं, जो वैक्सीनेट कराते हों. वहां से माल खरीदिए अगर 15 दिन पहले कोई माल मंगा रहा है तो समझ लीजिए कि बकरा हो या बकरी उसे वैक्सीन नहीं लगी है. हमेशा ही लोडेड बकरियां लें, यानि जो बकरी गाभिन हो. जल्द ही वो एक बच्चा दो बच्चा दे देगी और आपका कारोबार चल निकलेगा. बच्चा न लें. जानवर कम से कम 20 से 25 केजी का हो जाए तब लें. यदि ईद के लिए माल तैयार कर रहे हैं तो 3 महीने से पहले का बच्चा नहीं लेना चाहिए. 5 से 6 महीने के बच्चे को उठाएं. ऐसे में मृत्युदर भी बहुत कम हो जाएगी.
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