नई दिल्ली. बकरी पालन एक फायदेमंद कारोबार है. हालांकि इसमें ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए जरूरी कदम उठाए जाने की जरूरत है. तभी फायदा मिलेगा, नहीं तो नुकसान हो जाएगा. मसलन बकरी की जब डिलीवरी का वक्त करीब आए तो कुछ सावधानी बरतनी चाहिए. अगर ऐसा न किया जाए तो फिर हो सकता है कि बकरी को कई दिक्कतें हो जाएं और फिर बच्चा हैल्दी न पैदा हो. अगर ऐसा होता है तो बकरी के बच्चों की मौत भी हो सकती है. जिससे इस काम में नुकसान होगा.
भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (IVRI) के एक्सपर्ट ने लाइव स्टॉक एनिमल न्यूज (Livestock Animal News) को इस बारे में जानकारी दी है, जो हम आपके साथ साझा कर रहे हैं.
प्रसव से पहले का हैल्थ मैनेजमेंट कैसे करें
प्रसव के सम्भावित समय से लगभग एक हफ्ता पहले गाभिन बकरियों को रेवड़ से अलग कर उन्हें आरामदायक सूखे व स्वच्छ बाड़े में रखना चाहिए.
जहां तक सम्भव हो सके उन्हें उत्तेजना, परिवहन, अस्वच्छ, विपरीत जलवायु आदि जैसेी चीजों से बचाना चाहिए.
प्रसव के लिये तय स्थान बनाना फायदेमंद रहता है. आइडियल मातृ बाड़ा छोटा, स्वच्छ, सूखा तथा जहाँ तक सम्भव हो गन्दगी व मल रहित होना चाहिए.
बाड़े में गेहूं या घास के भूसे को साफ बिछावन तथा उस पर 2-3 कि.ग्रा. चूना प्रति 100 वर्ग मीटर क्षेत्र की दर से छिड़काव द्वारा प्रदूषण से बचाव हो जाता है.
प्रसव से पहले जननांग क्षेत्र व थनों की सही तरह से धुलाई से गंदगी और नवजात बच्चों में दुग्धपान के दौरान संक्रमण नहीं होता है.
दूध पिलाने के बाद थनों को किसी थैली से ढक देना बेहतर कदम माना जाता है.
गर्भाशय के संक्रमण से बचाव के लिये योनि के अन्दर तक एंटीबैक्टीरियल बोलस पोस्ट कर देना चाहिए.
प्रतिधारित प्लैसेन्टा को हल्के कर्षण द्वारा निकाला जा सकता है, लेकिन असफल होने पर पशु चिकित्सक की सहायता जरूरी हो जाती है.
वहीं दूध देने के दौरान निर्धारित मात्रा में दाने, रातव, खनिज लवण (5-15 ग्राम) देना चाहिये.
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